कानपुर हादसा: RTO प्रशासन मौन, खतरे में नौनिहालों की जान... हर हादसे के बाद कार्रवाई के नाम पर होती खानापूर्ति
कानपुर में अक्सर स्कूली वाहन हादसे का शिकार होते है
कानपुर में हुए हादसे के बाद आरटीओ प्रशासन पूरी तरह मौन है। वहीं, खतरे में नौनिहालों की जान डाली जा रही है। हर हादसे के बाद कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति होती है।
कानपुर, अमृत विचार। स्कूली वाहनों के किसी हादसे का शिकार होने के बाद हरबार आदेश-निर्देश की झड़ी अफसर लगाते हैं और कुछ दिन बाद सो जाते हैं। इसी कारण दर्जनों हादसों के बाद आज तक स्कूली वाहनों के मानक पूरे नहीं कराए जा सके। किसी हादसे के दो-चार दिन बाद तक आरटीओ के अधिकारी जांच का नाटक करते हैं और फिर सब कुछ पहले जैसा हो जाता है।
अभिभावक भी लापरवाह हैं जो ध्यान ही नहीं देते कि बच्चा किस तरह से वानों में ठूंस-ठूंस कर बैठाया जाता है। आरटीओ प्रशासन और पुलिस से वैनों में ठूंस-ठूस कर भरे बच्चों को स्कूल छोड़ने और ले जाना छिपा नही हैं, लेकिन कार्रवाई में खानापूर्ति की जाती है।
बच्चों की सुरक्षा की तरफ न अभिभावकों और न निजी स्कूलों का ध्यान है। बच्चों का जीवन खतरे में डाल देते हैं। ओमनी वैन, टाटा मैजिक, ऑटो में स्कूली बच्चों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है। खुलेआम ओवरलोडिंग होती है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। अधिकतर स्कूली वैन निजी नंबर की हैं व उनका कोई टैक्सी परमिट भी नहीं है। ऐसे में सरकार को हर महीनों लाखों रुपयों का चूना भी लग रहा है।
20 से ज्यादा बच्चों को छोटे स्कूली वाहनों में बिठाया जाता है। इन वाहनों की कभी न तो पुलिस चेकिंग करती है और न ही परिवहन विभाग। यही वजह है कि स्कूली वाहन संचालक मनमानी कर बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
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