हरदोई: चेहरे पर झुर्रियां, कंपकंपाता जिस्म, जुबां खमोश, बेबस आंखों को किसी अपने का अभी भी इंतजार...
हरदोई। कंपकंपाते जिस्म पर बढ़ी हुई दाढ़ी, पूरी तरह से पके हुए उजड़े बाल, और खामोश होंठ। कुछ इसी हालत में 100 बेड हास्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में पड़े बुज़ुर्ग के मुंह से बोली निकल नहीं पा रही है लेकिन उसके झुर्रियों वाले चेहरे पर बोझिल हो चुकी आंखे उसकी बेबसी का पता दे रहीं है। उस बुज़ुर्ग की उम्र वही कोई 70 से 75 साल के आसपास होगी। ज़िंदगी ने उसे ऐसे मोड़ पर ला कर छोड़ दिया, जहां उसके बस में बेबसी के सिवा और कुछ भी नहीं रहा।
बात मंगलवार की थी, खुद को पिहानी कोतवाली में तैनात चौकीदार बताने वाला शर्मा अपने साथ एक बुज़ुर्ग को लेकर 100 बेड हास्पिटल पहुंचा और वहां ड्यूटी कर रहे डा. सुजीत कुमार को अपने साथ लाए बुज़ुर्ग की तरफ इशारा करते हुए बताया कि भर्ती कराने के लिए उसे दीवान जी ने भेजा है। उसने आगे बताया कि पिहानी सीएचसी में इलाज चल रहा था। लेकिन वहां कोई फायदा नहीं दिखाई दिया।
डा.कुमार ने जब उस बुज़ुर्ग से हालचाल पूछा तो उसके मुंह से कुछ नहीं निकला, हां लेकिन उसकी बोझिल आंखे बता रहीं थी कि वह किस्मत का मारा हुआ है। उसके बाद उसका इलाज शुरु हो गया। दो रातें और तीन दिन बीत जाने के बाद भी उस बुज़ुर्ग के मुंह से एक बोल भी नहीं निकला, इधर-उधर देखने और लंबी सांस लेते हुए फिर आंखें बंद कर बिस्तर पर गिर जाना।
लोग उसकी ऐसी हालत देख कर कहने लगे कि ज़रूर उसकी आंखे किसी अपने को तलाश रहीं है। लेकिन उसका अपना कौन और कहां है ? इसका कोई सुराग़ नहीं लग पा रहा है। डा.सुजीत कुमार का कहना है कि उनकी और उनके स्टाफ की देखरेख में बुज़ुर्ग की देखभाल हो रहीं है। शायद किसी सदमें मे उसकी ऐसी हालत हुई है,उसे और कोई बीमारी नहीं है।
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