Lok Sabha Election: पचौरी दिल्ली रवाना, महाना पहले से मौजूद; भाजपा से मालिनी अवस्थी, रमेश अवस्थी व नीतू सिंह का नाम भी चर्चा में
कानपुर, विशेष संवाददाता। भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में कानपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी की घोषणा नहीं किए जाने से संशय के बादल गहरा गए हैं। प्रत्याशी को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं के साथ अटकलों का बाजार गरम है। कोई सांसद सत्यदेव पचौरी के रिपीट होने तो कोई परिवर्तन का दावा कर रहा है।
इस बीच विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के नाम की भी चर्चा है। महाना शनिवार से दिल्ली में हैं। रविवार को सांसद सत्यदेव पचौरी भी दिल्ली रवाना हो गए। महाना और पचौरी के साथ पूर्व नौकरशाह अवनीश अवस्थी की पत्नी लोक गायिका मालिनी अवस्थी के अलावा रमेश अवस्थी का नाम भी अटकलों के बाजार में चर्चा पा रहा है।
कानपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित न किए जाने के पीछे कहा जा रहा है कि इस सीट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राय से ही प्रत्याशी घोषित किया जाएगा। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने अपनी राय से नेतृत्व को अवगत करा दिया है। कानपुर के लिए मालिनी अवस्थी का नाम लखनऊ से चलाया गया है। उनका पनकी में एक पारिवारिक मंदिर भी है जहां परिवार का जब-तब आना-जाना रहता है।
भाजपा पहले ही किसी कद्दावर ब्राह्मण को प्रत्याशी बनाने के मूड में है। दूसरा नाम रमेश अवस्थी का लिया जा रहा है। शहर में उनके पोस्टर, होर्डिंग जगह-जगह लगायी गयी हैं। स्थानीय संगठन में उनके नाम पर कोई गंभीर चर्चा नहीं है पर कहा जाता है कि दिल्ली में उनके राजनीतिक आका ने नाम चलाया है। आरएसएस की तगड़ी पैरवी के बाद भी मेयर का टिकट कट जाने के बाद राजनीति और सामाजिक कार्यों में सक्रिय नीतू सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं। वह पचौरी की बेटी हैं।
कानपुर लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं की बहुतायत है। पहली बार 1991 में कैप्टन पंडित जगतवीर सिंह द्रोण ने चुनाव जीता था। फिर 1996 व 1998 में भी वह सांसद रहे। द्रोण ब्राह्मण समाज से आते हैं। उनके बाद तीन चुनाव कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल ने जीते। 2014 में मुरली मनोहर जोशी व 2019 सत्यदेव पचौरी ने सीट फतह की।
दोनों ही ब्राह्मण हैं। कहा जाता है कि भाजपा एक बार फिर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने के मूड में हैं। मगर दूसरी तरफ आठ बार के विधायक प्रदेश सरकार में मंत्री रहे विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना लोकप्रियता और सर्वसुलभ होने से चर्चा में हैं। वह 2009 का लोकसभा चुनाव कानपुर से लड़े थे, पर 18 हजार वोटों से हार गए थे।
