Exclusive: एसआईटी की अवैध मदरसों की जांच रिपोर्ट के बाद मची खलबली; शहर में 82 अवैध मदरसे... बंदी का खतरा
कानपुर, शिव प्रकाश मिश्रा। प्रदेश में अवैध मदरसों को बंद करने की एसआईटी की सिफारिश के बाद शहर में भी खलबली मची है। एसआईटी रिपोर्ट के अनुसार शहर में 82 अवैध मदरसे संचालित हैं। इन मदरसों की रिपोर्ट 2022-23 में शासन को भेजी जा चुकी है। अब इन पर भी कार्रवाई हो सकती है।
जिला अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों के अनुसार पंजीकृत और अवैध मदरसों की जांच शहर में काफी समय पहले हो चुकी है। उसी समय पंजीकृत और अवैध मदरसों की सूची तैयार हुई थी। यह सूची शासन को भेजी गई थी। रिपोर्ट में शहर में पंजीकृत 200 और अवैध 82 मदरसे सामने आए थे।
मदरसों की जांच में बाहरी फंडिंग, धर्मांतरण मुद्दा समेत कई अन्य बिंदु भी उस समय सामने आए थे जिससे शासन को अवगत कराया गया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब एसआईटी की सिफारिश के बाद माना जा रहा है कि शहर के अवैध मदरसों की फाइल भी खुल सकती है। इसी कारण शहर के भी मदरसों में खलबली मची है।
बच्चों की नौकरी पर भी संकट
शहर में आलीशान मदरसे बने हैं, मगर इन मदरसों का कोई हिसाब नहीं दे पाया। यह तक नहीं बता सके कि मदरसों का निर्माण कैसे हुआ। पंजीकरण और अन्य दस्तावेज भी नहीं हैं। अब यह बात सामने आ रही है कि इन मदरसों में जो बच्चे शिक्षा ले रहे हैं, उनकी नौकरी पर भी संकट है क्योंकि बगैर पंजीकरण के यह मदरसे अवैध हैं।
अवैध और वैध में फंसा पेंच
मदरसों के वैध और अवैध होने के मामले में पेंच फंस गया है। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने बताया कि इसका हमारे पास कोई मानक नहीं है जिससे हम निर्धारित कर सकें। फिलहाल ये माना जाता है कि मान्यता प्राप्त है तो वैध, नहीं तो अवैध। जैसे कि एसआईटी ने माना है। सवाल यह है कि हमारे यहां से मान्यता प्राप्त नहीं हैं, मगर मदरसों को अल्पसंख्यकों की कमेटी चला रही है तो उसे क्या कहेंगे।
इस बारे में अल्पसंख्यक समाज के एक व्यक्ति ने बताया कि अगर सरकार से मद लेते हैं तो मान्यता प्राप्त और अगर कमेटी मिलकर चंदे से मदरसा चलाती है तो गैर मान्यता प्राप्त कह सकते हैं। उसे अवैध नहीं बोला जा सकता है। जितना बड़ा मदरसा उतनी बड़ी कमेटी।
एसआईटी जांच पूरी होने और अवैध मदरसों पर कार्रवाई की सिफारिश करने की जानकारी है। शहर में 82 अवैध मदरसे संचालित हैं। उक्त मदरसों की सूचना विभाग स्तर पर शासन को भेजी थी। कार्रवाई के लिए अभी कोई आदेश, दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। - पवन कुमार सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी
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