प्रयागराज: शुआट्स के निदेशक को राहत, इस आरोप में मिली सशर्त जमानत
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में सैम हिगिन बॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स) के निदेशक विनोद बिहारी लाल को कथित तौर पर हत्या के प्रयास में एक व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने के आरोप में दर्ज मामले में सशर्त जमानत दे दी है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने रिहाई से पहले ट्रायल कोर्ट में 10 लाख रुपए जमा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा की जमानत शर्तों के किसी भी उल्लंघन के परिणाम स्वरुप जमानत स्वत: रद्द हो जाएगी।
निदेशक के अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि याची का नाम प्राथमिकी में नहीं था और बिना किसी संभावित स्पष्टीकरण के अत्यधिक देरी से प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सूचना देने वाला शुआट्स का एक पूर्व छात्र था, जिसने प्रशासन पर परीक्षा उत्तीर्ण किए बिना उसे डिग्री जारी करने के लिए दबाव डालने हेतु प्राथमिकी दर्ज करवाई थी। अतः कहा जा सकता है की शिकायतकर्ता याची से पूर्व व्यक्तिगत द्वेष रखता है। इसके अलावा याची को राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार भी बनाया गया है और समाज में उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए दुर्भावनापूर्ण रूप से कई आधारहीन मामले दर्ज कराए गए हैं। इसके अलावा कोर्ट को यह भी बताया गया कि सह अभियुक्त राजेंद्र बिहारी लाल को शीर्ष अदालत द्वारा तत्काल मामले के अपराध के संबंध में अंतरीम जमानत दी गई है।
वहीं दूसरी ओर सरकारी अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि चोटें गंभीर प्रकृति की थी, जो डॉक्टर के बयान से स्पष्ट हैं। चोटें और चश्मीदों के बयान अभियोजन की कहानी के साथ-साथ प्राथमिकी के संस्करण की पुष्टि करते हैं। आगे यह भी कहा गया कि सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दिए गए बयान में याची ने अपना अपराध कबूल कर लिया था और जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूत के आधार पर यह स्पष्ट है कि उसने अन्य आरोपियों के साथ साजिश में शामिल था।याची के खिलाफ 35 से अधिक आपराधिक मामले हैं और इसलिए वह जमानत का हकदार नहीं है।
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