Kanpur: नेता जी! आपने जाम के लिए कभी कुछ नहीं किया...लचर यातायात व्यवस्था से परेशान शहरवासियों ने जमकर उठाए मुद्दे

Kanpur: नेता जी! आपने जाम के लिए कभी कुछ नहीं किया...लचर यातायात व्यवस्था से परेशान शहरवासियों ने जमकर उठाए मुद्दे

कानपुर, अमृत विचार। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बजने के साथ ही आम लोगों भी अपने मुद्दों के तहत मतदान का मन बना लिया है। बुधवार को शहर के गण्यमान्य लोगों ने अपने मुद्दों की खुल बात की। कहा कि शहर का सबसे बड़ा मुद्दा यहां की लचर यातायात व्यवस्था है। खराब यातायात व्यवस्था के चलते शहर का विकास भी छिप जाता है। पिछले 40 सालों में शहर का यातायात सुधारने के कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। 

सुबह शाम के बाद अब तो कई इलाकों में दोपहर में भी जाम लगने लगा है। सैकड़ों बाजार वाले इस शहर में एक भी बाजार में पार्किंग नहीं है। खरीदारी करने जाएं तो वाहन कहां खड़ा करें। शहर का जनप्रतिनिधि ऐसा होना चाहिए जिसके पास यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए कंक्रीट प्लान हो। जो जाम, पुल, अंडरपास, पार्किंग व सड़क की समस्याएं दूर कर सके। 

अमृत विचार के संवाद में बुधवार को सर्वोदय नगर के नागरिक शामिल हुए। इनमें सीए, कारोबारी, प्रोफेशनल, बैंकर सहित अन्य लोगों ने अपने विचार रखे। सीए सिमरनजीत सिंह, मृत्युंजय सिंह, मनीष तिवारी, मुजीब हैदर खान, आशीष वर्मा, अभिषेक मल्होत्रा, प्रांजल त्रिपाठी, शिव गुप्ता, मानव तुर्केल व प्रतीक सिंह ने बताया कि जनप्रतिनिधियों ने शहर में विकास तो कराया है। इसके बावजूद यातायात व्यवस्था आज भी जस का तस है। 

यह एक ऐसी समस्या है जिससे लाखों लोग प्रभावित हैं। घर से निकलते गंतव्य तक जाते हुए लाखों लोगों को परेशान होना होता है। यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए 40 सालों से कोई भी बेहतर प्लान नहीं आया। न सड़कें चौड़ी हुईं और न ही वैकल्पिक मार्ग बनें। कुछ पुल बने लेकिन वे भी अब पर्याप्त नहीं हैं। मेट्रो की खोदाई की वजह से दो सालों में स्थितियां और खराब हो चुकी हैं। इस चुनाव जनप्रतिनिधियों के लिए उनके पास यह बड़ा मुद्दा है। 

पार्किंग की जगह नहीं

लोगों ने कहा कि शहर की किसी भी बाजार में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। सड़कों तक दुकानें लगी हैं। वहां पर खरीदारी करने आने वाले लोगों को वाहन खड़े करने की सहूलियत नहीं है। चौपहिया तो दूर, दोपहिया वाहन भी बाजारों में खड़े नहीं हो सकते। इससे लोग ऑनलाइन खरीदारी की ओर भाग रहे हैं। बाजारों के आस-पास पार्किंग जरूर बनाई जानी चाहिए। 

सड़कों की स्थिति सुधारें

लोगों ने कहाकि कुछ सड़कों को छोड़ दिए जाए तो अन्य सड़कों के बीच गड्ढे यातायात को धीमा कर देते हैं। हादसे होते हैं। सड़के बनती हैं तो दोबारा खोद दी जाती हैं। विभागों में कोई समन्वय नहीं है। खराब सड़कों के आम शहरवासियों को भारी दिक्कत होती है पर जनप्रतिनिधि कुछ नहीं करते।

बरसात में जलभराव

लोगों ने बताया कि बरसात में शहर में चारों तरफ जलभराव की वजह से वाहन चलाना मुसीबत बन जाता है। इस बरसात में जूही खलवा पुल पर एक युवक की डूबकर मौत तक हो गई थी। जलभराव भी बारिश के समय शहर की यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर देता है। बरसात के मौसम में शहरियों को अपने घर या ऑफिस जाने में मुसीबत का सामना करना होता है। 

आउटडोर स्पोर्ट्स फील्ड बने

शहर में युवाओं के लिए खेल के मैदान का मुद्दा भी उठा। कहा गया कि एक समय था जब शहर के सभी मोहल्लों के पास एक मैदान होता था जहां पर युवा खेलते थे। अब मैदानों पर कब्जा है। जो मैदान बचे भी हैं वे बदहाल हैं। आज एक भी मैदान ऐसा नहीं है जहां पर निशुल्क ‘आउटडोर गेम’ खेले जा सकें। जनप्रतिनिधियों को इस ओर भी ध्यान देनेकी जरूरत है।

शिक्षा सस्ती होनी चाहिए

सस्ती शिक्षा का मुद्दा भी संवाद में उठा। कहा गया कि स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक सरकार को फीस कम करनी चाहिए। कोरोनाकाल के बाद निजी स्कूलों की फीस कम होने का मुद्दा सामने आया था लेकिन उस पर क्या हुआ यह आज तक कोई नहीं जानता। जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे उनकी बात को सरकार तक पहुंचाएं। इससे हर व्यक्ति सीधेतौर पर प्रभावित है।

शहर की ब्रांडिंग होनी चाहिए

संवाद के दौरान यह भी कहा गया कि शहर में ऐतिहासिक धरोहरों का भंडार है। बिठूर, भीतरगांव सहित अन्य स्थानों में बेहतर पर्यटन क्षेत्र का विकल्प खुला हुआ है। वहां पर आम लोगों का जाना भी आसान हो गया है। डिफेंस कॉरिडोर के आने के बाद शहर की ख्याति काफी बढ़ गई है। ट्रेन व हवाई यातायात से पहले के मुकाबले बेहतर जुड़ाव हो गया है। ऐसे में शहर की ब्रांडिंग की जरूरत है। ब्रांडिंग से यहां पर अन्य राज्यों से लोग आएंगे जिससे पर्यटन क्षेत्र का और अधिक विकास हो सकेगा। इसका प्रभाव शहर के उद्योग व कारोबार पर सीधे पड़ेगा।

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