Hamirpur: जेल से रिहा होगा सजायाफ्ता पूर्व सांसद का चालक; सामूहिक हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद की सजा

अच्छे चाल-चलन के चलते हाईकोर्ट ने दिया रिहा करने का आदेश

Hamirpur: जेल से रिहा होगा सजायाफ्ता पूर्व सांसद का चालक; सामूहिक हत्याकांड में मिली थी उम्रकैद की सजा

हमीरपुर, अमृत विचार। शहर के चर्चित सामूहिक हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व सांसद अशोक सिंह चंदेल के चालक को अच्छे चालचलन के चलते हाईकोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया है। दोषी करीब 20 साल से जेल में सजा काट रहा है। वर्तमान समय में वह बरेली सेंट्रल जेल में बंद है।

शहर के सुभाष बाजार में 26 जनवरी 1997 की शाम हुए गोलीकांड में पांच लोगों राकेश शुक्ला, राजेश शुक्ला, भतीजे अंबुज उर्फ गुड्डा, निजी सुरक्षाकर्मी वेद नायक व श्रीकांत पांडे की सामूहिक हत्या कर दी गई थी। वादी पक्ष ने मामले में पूर्व विधायक अशोक सिंह चंदेल सहित 12 लोगों के खिलाफ हत्या करने का मामला दर्ज कराया था। जिसमें खालेपुरा मोहल्ला निवासी चालक रुक्कू उर्फ रुकनुद्दीन भी था। 

पुलिस ने मामले में पूर्व विधायक के सरकारी गनर को क्लीन चिट देते हुए 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश किया था। वर्ष 2003 में निचली अदालत ने पूर्व विधायक सहित 10 लोगों को दोषमुक्त कर दिया था। जबकि चालक रुक्कू फरार था। बाद में वह कोर्ट में सरेंडर हो गया था। चालक रुक्कू उर्फ रुकनुद्दीन 20 साल से सजा काट रहा था। उसे हाईकोर्ट ने पिछले 19 मार्च को जेल में अच्छे चाल-चलन के चलते सशर्त रिहा करने आदेश जारी किया है। 

सजायाफ्ता की रिहाई को लेकर कागजी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उच्च न्यायालय ने डेढ़ लाख का स्व बंधपत्र व इतनी ही धनराशि के दो विश्वसनीय प्रतिभूति दाखिल करने पर सशर्त रिहा करने का फैसला दिया है। पीड़ित पक्ष के भाजपा नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि रिहाई के आदेश को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। कहा कि घटना जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे मामलों पर रिहाई का आदेश लागू नहीं होता है।

उच्च न्यायालय ने पलटा था निचली अदालत का फैसला

वर्ष 2003 में निचली अदालत से दोषमुक्त हुए सभी आरोपियों की रिहाई को लेकर पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में उच्च न्यायालय ने वर्ष 2019 में पूर्व सांसद अशोक सिंह चंदेल सहित अन्य नौ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दो आरोपियों की मुकदमा के दौरान मौत हो गई थी। शेष आरोपी अलग-अलग जेलों में सजा काट रहे हैं।

सरकार से आवेदन निरस्त होने पर करना होगा आत्मसमर्पण

दोषी पक्ष के अधिवक्ता प्राणेश सिंह ने बताया कि सजायाफ्ता के परिजन इस आशय से अंडरटेकिंग दाखिल करेंगे कि यदि बंदी का आवेदन सरकार निरस्त कर देती है तो वह आत्मसमर्पण कर जेल में दाखिल होगा। वहीं उसे पासपोर्ट संबंधित थाने में जमा करना होगा। साथ ही बिना अनुमति के विदेश यात्रा भी नहीं करेगा। बताया हाईकोर्ट ने अच्छे चाल चलन के चलते रिहाई का आदेश दिया है। इसके तहत बंदी को रिहाई की सभी शर्तों का पालन करना होगा।

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