Chaitra Navratri 2024: तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध राजेश्वरी देवी मंदिर...Unnao में इस जगह पर है स्थित, इस तरह पहुंचे

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Published By Nitesh Mishra
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उन्नाव में तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है राजेश्वरी देवी मंदिर

उन्नाव, अमृत विचार। बांगरमऊ नगर स्थित प्राचीन राजेश्वरी देवी मंदिर तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध रहा है। जहां साधना के लिए दूर-दराज से पहुंचने वाले आस्थावान भक्त डेरा जमाए रहते हैं। वैसे तो मंदिर की महत्ता जानने वाले श्रद्धालुओं का यहां पूरे साल आवागमन बना रहता है। लेकिन, नवरात्र में दर्शन-पूजन करने सहित यहां आयोजित होने वाले देवी पुराण सुनने वाले भक्तों की भीड़ उमड़ती है। 

बता दें क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि स्थानीय खानदानी रईश पं. दुलारे लाल शुक्ल का कोलकाता में कपड़े का थोक कारोबार था। उन्होंने कारोबार से अर्जित रकम से जमीन खरीदी और अचल संपत्ति बढ़ाते रहे। जिससे आसपास के नौ गावों की जमीन के वे जमींदार हो गए। कोई संतान न होने से वे कारोबार छोड़कर वर्ष-1921 में अपने पैतृक निवास में आकर रहने लगे।

इसके बाद वर्ष-1928 में उन्होंने यहां भगवती राजेश्वरी मंदिर का निर्माण शुरू कराया। जो वर्ष-1932 बनकर तैयार हुआ। इसके साथ ही उन्होंने मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा गंगा दशहरा के दिन कराई। मंदिर के वास्तु के आधार पर यहां श्रीयंत्र के माध्यम से त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना होने लगी। 

मान्यता है कि गुरु मंत्र ग्रहण करने वाले श्रद्धालु को पूजन-अर्चन से खुश होकर मां समृद्धि, ऐश्वर्य व विद्या (ज्ञान) प्रदान करती हैं। मंदिर के संस्थापक ने संतान न होने से मंदिर की व्यवस्थाएं अपने जीवन के बाद भी संचालित रखने का प्रबंध किया। इसके लिए ट्रस्ट बनाकर करीब 40 बीघा उपजाऊ भूमि की डीड तैयार कराकर कृषि उपज से होने वाली आय से मंदिर का रखरखाव व पूजन आदि करने वालों को पारिश्रमिक दिए जाने का प्रावधान भी किया था।

दिल्ली व कोलकाता जाने के लिये हैं सीधे मार्ग

जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर स्थित इस आबादी को काफी प्राचीन माना जाता है। इतिहासकारों के अनुसार, चीनी यात्री व्हेनसांग ने अपने साहित्य में बांगरमऊ का उल्लेख किया है। यह नगर न सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली से जुड़ा है बल्कि, प्रयागराज होकर सीधे कोलकाता भी पहुंचा जा सकता है। यहां लखनऊ, कानपुर, हरदोई व कन्नौज होकर भी पहुंचा जा सकता है। आसपास के जिलों से निजी वाहनों व रोडवेज बस से भी पहुंचा जा सकता है। वहीं, कानपुर-बालामऊ रेल रूट पर संचालित ट्रेन से भी पहुंचा जा सकता है।

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