Kanpur: नियम बनाकर भूले; गर्मी बढ़ने पर भी मानक के विपरीत चल रहे वाहन धुलाई सेंटर, पानी की हो रही बर्बादी

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। शहर में भूगर्भ जल-दोहन की वजह से एक बार फिर पेयजल का संकट गहरा सकता है। नियम के विपरीत शहर के कई क्षेत्रों में चल रहे वाहन धुलाई सेंटर इसकी वजह बन सकते हैं। नगर निगम ने गर्मी शुरू होने से पहले कार व बाइक धुलाई सेंटरों की जांच करने, हर जोन में सेंटरों की एनओसी जांचने और भूगर्भ जल दोहन किये जाने का आंकलन करने के साथ ही जुर्माने का नियम बनाया लेकिन, अधिकारी इसे भूल गये हैं। जिसकी वजह से बेधड़क यह सेंटर चले रहे हैं।

अवैध रूप से चल रहे वाहन धुलाई सेंटर प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी बहा रहे हैं। एक आंकड़े के अनुसार एक कार की धुलाई में औसतन 150 से 200 लीटर पानी बहाया जा रहा है। बाइक की धुलाई में लगभग 55-60 लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। 

नंबर गेम

- 500 से अधिक वाहन सर्विस सेंटर हैं
- 250 लीटर पानी एक कार धुलाई में खर्च
- 60 लीटर टू-व्हीलर की धुलाई पर पानी खर्च 
- 10,000 वाहनों की शहर में रोजाना धुलाई 
- 5.50 लाख लीटर पानी की रोज बर्बादी

नगर निगम सदन में पानी की बर्बादी रोकने के निर्देश दिए गए थे। विभागीय सर्वे में पाया गया है कि धुलाई सेंटरों पर जलकल विभाग की ओर से पानी का कनेक्शन नहीं लिया गया है और बोरिंग के जरिए भूमिगम पानी का दोहन किया जा रहा है। रतनलाल नगर नाला रोड पर एक किमी की रोड पर सात सेंटर हैं। इसके अलावा जोन-4 में 80 फीट रोड, हर्ष नगर-बजरिया रोड पर कई वाहन धुलाई सेंटर चल रहे हैं। शहर भर में ऐसे सेंटर चल रहे हैं। 

500 से ज्यादा वाहन धुलाई सेंटर हैं

जलकल विभाग की जांच के मुताबिक शहर में 500 से ज्यादा वाहन धुलाई सेंटर हैं। गली मोहल्ले में छोटे-छोटे धुलाई सेंटर अलग हैं। सर्विस सेंटर वालों को पानी का कामर्शियल कनेक्शन लेना होता है, इसके साथ ही कामर्शियल मीटर भी लगाना पड़ता है लेकिन ऐसा कोई नहीं करता। बिना एनओसी के संचालन भी गैर कानूनी है।

कागजों पर दो महीने बंद रहते हैं सेंटर 

शहर में रोजाना औसतन साढ़े पांच लाख लीटर पानी बर्बाद होता है। धुलाई सेंटर पर प्रेशर पानी से वाहनों की धुलाई होती है। अधिकतर जगह सबमर्सिबल से ही पानी लिया जाता है ऐसे में भूमिगत जल लगातार घटता जा रहा है। नगर निगम के निर्देश पर मई और जून में धुलाई सेंटर्स को बंद किया जाता है। लेकिन यह बंदी सिर्फ कागजों पर ही रहती है।

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