रामपुर: दो बच्चों समेत पांच अर्थियां उठते देख हर आंख हुई नम, सड़क हादसे में गंवाई थी जान

रामपुर: दो बच्चों समेत पांच अर्थियां उठते देख हर आंख हुई नम, सड़क हादसे में गंवाई थी जान

रामपुर,अमृत विचार: दो बच्चों समेत पांच लोगों की अर्थियां उठते देख गांव में मौजूद हर व्यक्ति की आंख नम हो गई। परिजनों का रोते-रोते बुरा हाल हो गया। शुक्रवार की शाम को पांचों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। थाना सिविल लाइंस के ग्राम रायपुर में प्रीति और थाना शहजादनगर के ग्राम हरजीपुर में देवरानी-जेठानी की अर्थियां एक साथ उठीं। मां और दो बच्चों की अर्थियां देख पत्थर दिल भी पिघल गए। दहाड़े मारकर रो रहे बच्चों के पिता और प्रीति के पति को लोगों ने बमुश्किल संभाला। शुक्रवार की शाम को सभी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। गांव के किसी घर में चूल्हा नहीं जला। सभी लोग मृतकों के घर पर मौजूद रहकर परिजनों को ढाढ़स बंधाते रहे। 

बता दें कि वृंदावन जाते हुए जनपद संभल के थाना गुन्नौर के ग्राम बिचपुरी सैलाब में सड़क हादसे में थाना सिविल लाइंस के ग्राम रायपुर और थाना शहजादनगर के ग्राम हरजीपुर निवासी दो बच्चों और दो महिलाओं की मौत हो गई थी। जबकि शुक्रवार की सुबह घर लाते समय गंभीर रूप से घायल प्रीति की भी मौत हो गई। शुक्रवार को रायपुर गांव में प्रीति और उसकी दो बेटियों का अंतिम संस्कार किया गया। जबकि हरजीपुर गांव में देवरानी-जेठानी का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान चारों ओर चीख-पुकार की आवाजें गूंज रही थीं। शहजादनगर थाना क्षेत्र के गांव हरजीपुर निवासी धर्मपाल का करीब डेढ़ साल पहले गांव के ही रहने वाले कुछ लोगों से विवाद हो गया था। उसके बाद दोनों पक्षों में हुई मारपीट में एक पक्ष के कुछ लोग घायल हो गए थे। जिसके बाद मुकदमा दर्ज हुआ था। जिसमे धर्मपाल,पूरन सहित पांच लोग जेल चले गए थे। उसके बाद पूरन की पत्नी मीना ने सभी के जेल से छूटकर आ जाने पर वृंदावन जाने की मन्नत मांगी थी।

कुछ दिन पहले ही परिवार के तीन सदस्य छूटकर आ गए थे। उसके बाद मीना अपने  रिश्तेदारों के साथ वृंदावन जाने का प्लान बनाया था। जिसके बाद गुरुवार दोपहर को दो कारों से करीब 14 लोग वृंदावन के लिए रवाना हो गए थे। एक कार सिविल लाइन थाना क्षेत्र के गांव रायपुर निवासी भगवंत सरन चला रहे थे। जिसमें भगवंत सरन की पत्नी प्रीति,उसकी दो बेटी राधिका (8 वर्ष) और दशा (6 वर्ष) उसका दो साल का बेटा कृष्णा और उसकी सास, मीना और राजमाला बैठी थीं। बताते हैं कि गुरुवार को शाम करीब 4:30 जिला संभल के थाना गुन्नौर के पास रोडवेज बस ने टक्कर मार दी थी। जिसमें भगवंत सरन की दो बेटी राधिका (8 वर्ष) और दशा (6) देवरानी,जेठानी राजमाला और मीना की मौत हो गई थी,

जबकि भगवंत सरन का दो साल का बेटा कृष्णा और उसकी पत्नी प्रीति घायल हो गए थे। घायलों को निकट के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिजनों का कहना है कि प्रीति की हालत में सुधार होने के बाद शुक्रवार की सुबह उसको घर लेकर आ रहे थे। तहसील शाहबाद के पास अचानक से उसकी हालत बिगड़ गई। उसको परिजन जिला अस्पताल लेकर भागे। जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस तरह से हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद दोपहर को प्रीति का शव गांव पहुंच गया। उधर हरजीपुर गांव में देवरानी राजमाला और जेठानी मीना के शव गांव पहुंचने के बाद चीख-पुकार मच गई। दोपहर को शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया।

पहले दो बेटियों और बाद में पत्नी का किया अंतिम संस्कार 
कार चालक भगवंत सरन का पूरा परिवार उजड़ गया। हादसे में उसकी दो बेटियों और पत्नी की मौत हो गई। सुबह को करीब आठ बजे उसने दो बेटियों के शवों का अंतिम संस्कार किया और शुक्रवार को ही दोपहर में पोस्टमार्टम के बाद पत्नी प्रीति का शव भी घर पहुंचा गया। प्रीति के शव को देखकर एक बार फिर परिजनों में रोना-पीटना शुरू कर दिया। भगवंत ने शाम को पत्नी का अंतिम संस्कार किया।
 गांव में जिसने भी सुना उसने भगवंत के घर की ओर दौड़ लगा दी। हर व्यक्ति की आंखों से आंसू बह रहे थे। लोगों का कहना था कि ऊपर वाले ने यह क्या किया। पति अकेला रह गया,तो वही दो साल के कृष्णा के सिर से  मां और दोनों बहनों का साया उठ गया। सभी का रो-रोकर बुरा हाल है करीब आठ वर्ष पहले ही गांव रायपुर निवासी  भगवंत  सरन की शादी हरजीपुर निवासी प्रीति यादव से हुई थी। दो बेटियों और पत्नी को कंधा देने के बाद  उसका भी रो -रोकर बुरा हाल है। उससे  चला भी नहीं जा रहा है लोग उसको पकड़ कर ले गए।उसने पत्नी का अंतिम संस्कार किया,जबकि दो  वर्ष के कृष्णा को इस बात का पता तक नहीं है कि उसकी मां और दो बहनों की मौत हो चुकी है। बालक कृष्णा चारपाई पर बैठकर मोबाइल  चला रहा है,लेकिन भगवंत सरन को अब उसके लालन पालन की चिन्ता सता  रही है कि उसके बेटे की अब देख भाल कौन करेगा।

गांव में चूल्हे तक नहीं जल सके 
रायपुर और हरजीपुर गांव में दो रिश्तेदारों के यहां पर हुई पांच मौतों के बाद गांव में चारों ओर चीख-पुकार मची हुई थी। महिलाओं के रोने-पीटने की आवाजें आ रही थीं। हरजीपुर और रायपुर गांव में नम आंखों के बीच सभी का अंतिम संस्कार कर दिया गया,लेकिन गांव में मृतकों के साथ ही उनके रिश्तेदारों के यहां तक चूल्हे नहीं जल सके। गांव में लोगों का दिन भर तांता लगा रहा,चारों ओर लोग ही लोग नजर आ रहे थे। लोगों का कहना था,कि सभी लोग भगवान  की आराधना करने जा रहे थे लेकिन इन पांच लोगों से ऐसी क्या गलती हो गई कि उनको बांके बिहारी के दर्शन तो नहीं हो सके,लेकिन पांच लोगों की जाने चली गई।  

अंतिम संस्कार के समय पत्नियों का मुंह नहीं देख सके पति   
करीब डेढ़ साल पहले हरजीपुर गांव में हुए विवाद के चलते धर्मपाल और उसके रिश्तेदार पूरन को पुलिस पकड़ कर ले गई थी। तभी से दोनों जिला कारागार में बंद हैं। वृंदावन जाते समय  मीना और राजमाला सहित पांच लोगों की मौत हो गई। हादसे की जानकारी मिलने के बाद परिजनों में कोहराम मच गया। शुक्रवार की दोपहर को मीना और राजमाला के बेटों ने अपनी-अपनी मां का अंतिम संस्कार किया। अंतिम समय में भी दोनों मृतक पत्नियों को अपने पति का कंधा भी नसीब नहीं हो सका।

पैरोल को कर दिया निरस्त 
मृतक के रिश्तेदार कमल सिंह ने बताया कि विवाद के चलते धर्मपाल और पूरन सिंह मौजूदा समय में जिला कारागार में बंद हैं। उनकी एक दिन की पैरोल के लिए अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया था,जिसको कोर्ट ने निरस्त कर दिया। हादसे के बाद दूसरी कार पर सवार अन्य लोग भी वापस लौट आए।  

राजमाला की मौत के बाद उनके बच्चों का कौन रखेगा ध्यान

राजमाला के पति धर्मपाल पिछले डेढ़  साल से गांव में हुए विवाद के चलते जिला कारागार में बंद हैं। राजमाला ही अपने बच्चों की देखभाल कर रही थी। गुरुवार शाम को हुए हादसे में राजमाला की हादसे में मौत हो गई। जबकि उसके तीन बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल है उसके सबसे बड़े करीब 13 वर्ष के बेटे ने पिता के नही होने पर मां का अंतिम संस्कार किया। अब मां के चले जाने के बाद उसके तीन बच्चों को कौन  ख्याल रखेगा। जबकि पिता धर्मपाल जिला कारागार में बंद है।

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