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Kanpur: जीएसवीएम की कामयाबी: कुशिंग सिंड्रोम का ऑपरेशन कर बचाई युवती की जान, किडनी के पास से निकाली गांठ
हार्मोनल विकार से एक लाख में से एक व्यक्ति को होता है कुशिंग सिंड्रोम
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कानपुर, अमृत विचार। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने आठ मई को कामयाबी की एक और इबारत लिख दी। कॉलेज के प्राचार्य ने एंडोक्रोनोलॉजिस्ट, कैंसर रोग विशेषज्ञ व गैस्ट्रो सर्जन की मदद से कुशिंग सिड्रोम का पता लगाया और फिर लेप्रोस्कोप विधि से ऑपरेशन कर युवती की जान बचाई। प्राचार्य के मुताबिक जीएसवीएम में कुशिंग सिड्रोम का पहला ऑपरेशन हुआ है। अभी तक ऐसे मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ व दिल्ली भेजा जाता था।
एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ.शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि जांच में एसीटीएच शून्य था। पोटैशियम कम था और कार्टिसोल बढ़ा था। इसके बाद युवती के ब्रेन की एमआरआई कराई, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि ऐंड्रिनियल ग्रंथि किस वजह से बढ़ रही है। सटीक जानकारी के लिए पेट का सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें दाईं तरफ किडनी के ऊपर गांठ मिली, जो दो सेंटीमीटर की थी।
डॉ.शिवेंद्र ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला को कुशिंग सिंड्रोम की जानकारी देने के साथ पेट में गांठ मिलने की जानकारी दी। प्राचार्य ने कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ.कुश पाठक, गैस्ट्रो सर्जन डॉ.आरके जौहरी और डॉ.अनुराग के साथ मिलकर ऑपरेशन की तैयारी की। प्राचार्य ने बताया कि डॉक्टरों की टीम ने पिछले सप्ताह युवती का लेप्रोस्कोप विधि से ऑपरेशन किया, जो करीब डेढ़ घंटे तक चला। ऑपरेशन के बाद युवती अब स्वस्थ है।
एक लाख लोगों में एक व्यक्ति को होती समस्या
प्राचार्य प्रो.संजय काला ने बताया कि साल या दो साल में एक या दो मरीज कुशिंग सिड्रोम बीमारी से ग्रस्त मिलते हैं। यह बीमारी एक लाख लोगों में किसी एक व्यक्ति में पाई जाती है। कुशिंग पीड़ित युवती का ऑपरेशन करना डॉक्टरों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। पहली चुनौती यह थी कि गांठ दाईं तरफ किडनी के ऊपर थी।
दूसरी चुनौती लिवर से चिपका होना और तीसरी चुनौती ऑपरेशन था। जरा सी गलती से अधिक रक्तस्त्राव हो सकता था और जान भी जा सकती थी, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने सभी चुनौतियों को स्वीकार करते हुए लेप्रोस्कोप विधि से ऑपरेशन कर युवती की जान बचाई।
इस वजह से होती है बीमारी
एंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ.शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि यह एक हार्मोनल विकार है, जो कोर्टिसोल के अधिक उत्पादन से जुड़ा है। कोर्टिसोल शरीर की ओर से उत्पादित एक हार्मोन है, जो तनाव से लड़ने के लिए एक ग्रंथि का निर्माण करता है। धीरे-धीरे यह पीट्यूटेरी ग्लैंड में जमा होता है और वह बीमारी का कारण बनता है।
यह इतना छोटा होता है कि एमआरआई में भी जल्द पकड़ में नहीं आता। कुशिंग सिंड्रोम का एक लक्षण यह भी होता है कि इसमें लोगों के हाथ-पैर पतले होने लगते हैं और पेट निकलने लगता है। इसका खाने-पीने से संबंध नहीं होता है, बल्कि जेनेटिक कारण हो सकते हैं।