Bareilly News: कॉलेज खोलने के लिए दी थी 12 हजार वर्ग गज जमीन...बना लीं दुकानें
बरेली, अमृत विचार। सन् 2000 के जिस दौर में आर्य समाज अनाथालय की 10 हजार वर्ग गज जमीन बेचने की कोशिश तत्कालीन जनपद न्यायाधीश के रोक लगा दिए जाने की वजह से कामयाब नहीं हुई, उसी दौर में एक और विवादित काम हुआ।
शिक्षण संस्थान बनाने के लिए 1927 में लीज पर दी गई जमीन पर शर्तों के खिलाफ न सिर्फ तमाम दुकानों का निर्माण करा दिया गया बल्कि उन्हें किराए पर भी उठा दिया गया। इन दुकानों का लाखों का किराया कौन ले रहा है और उसका क्या इस्तेमाल हो रहा है, इसका कोई ब्योरा कभी सार्वजनिक नहीं किया गया।
आर्य समाज अनाथालय की संपत्तियों को कई बार हड़पने की कोशिश की गई। कभी उन्हें बायलॉज के खिलाफ सीधे बेचकर ठिकाने लगाने की कोशिश हुई तो कभी इसके लिए नियम-शर्तों के बीच ही रास्ता तलाशने का प्रयास किया गया।
इसमें ज्यादा कामयाबी नहीं मिली तो सिर्फ इसलिए क्योंकि अनाथालय के बायलॉज में साफ शब्दों में दर्ज था कि उसकी जमीन का इस्तेमाल सिर्फ यतीमों को आश्रय देने और शिक्षण कार्य के लिए ही किया जा सकेगा। अनाथालय की जमीन को ठिकाने लगाने की सबसे ज्यादा कोशिशें सन् 2000 के दौर में हुईं। इन्हीं पर सबसे ज्यादा विवाद हुए। इसी दौर में उस जमीन पर दुकानें बना दी गईं जिसे अनाथालय प्रबंधन की ओर से एग्रीमेंट में साफ तौर पर यह उल्लेख करते हुए लीज पर दिया था कि जमीन का इस्तेमाल सिर्फ शिक्षण कार्य के लिए होगा।
करीब 12 हजार वर्ग गज की यह जमीन 1927 में शिक्षण संस्थान के निर्माण के लिए सशर्त आर्य विद्या सभा को सिर्फ 10 रुपये के मासिक किराए और 99 साल की लीज पर दी गई थी। दो साल बाद 2026 में यह लीज खत्म होने वाली है। इस जमीन पर एसवी इंटर कॉलेज का निर्माण कराया गया था।
करीब 75 साल तक इस जमीन का उपयोग शिक्षण कार्यों के लिए ही किया गया लेकिन सन् 2000 में सड़क के किनारे इसी जमीन पर करीब 40 दुकानों का निर्माण करा दिया गया। यह लीज की शर्तों का साफ उल्लंघन था लेकिन कहा जाता है कि अनाथालय की प्रबंध कमेटी ने उसका सिर्फ इतना ही विरोध किया कि उस पर साठगांठ का आरोप न लगे और दुकानों का भी निर्माण हो जाए। प्रबंध कमेटी ने न्यायालय में मुकदमा भी किया लेकिन तब, जब दुकानों का निर्माण पूरा हो गया।
अब ये दुकानें किराए पर उठी हुई हैं। इनका किराए की लाखों रुपये की धनराशि का क्या उपयोग किया जाता है, यह किसी को पता नहीं है। इस घटना की गिनती शहर के बीच करीब 360 करोड़ कीमत की 42 बीघा जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने की कोशिशों में ही की जाती है। इसी कारण अब आर्य समाज अनाथालय को बंद कर गुरुकुल खोले जाने की हवाई योजना पर भी सवाल उठ रहे हैं।
इसलिए लीज पर दी थी जमीन ताकि पढ़ने के लिए दूर न जाएं यतीम बच्चे
सन् 1927 में शिक्षण संस्थान के लिए 12 हजार वर्ग जमीन सिर्फ 10 रुपये की लीज पर दिए जाने के पीछे मंशा थी कि अनाथालय में रह रहे बच्चों को पढ़ाई के लिए दूर न जाना पड़े। इसका उल्लेख लीज एग्रीमेंट में भी है। यह भी कहा गया था कि जमीन के किराए की धनराशि भी अनाथालय नहीं लेगा, वह यतीम बच्चों की फीस में समायोजित होगी। यह भी साफ जिक्र किया गया था कि जमीन का शिक्षण संस्थान के अलावा कोई और उपयोग नहीं किया जाएगा लेकिन इसके बाद भी यहां दुकानों का निर्माण कराकर उन्हें किराए पर उठा दिया गया।
अनाथालय की ओर से लीज पर दी गई जमीन पर दुकानों के निर्माण का मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है, इसलिए इस संबंध में अभी कुछ नहीं बता सकते। - अभय स्वरूप, एसवी इंटर कॉलेज प्रबंधक के पति
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