Kanpur: सब्जी विक्रेता और चौकी इंचार्ज के बीच लेनदेन की बातचीत के चार ऑडियो वायरल...दारोगा और सिपाही की तलाश में लगी टीमें
कानपुर में सब्जी विक्रेता और चौकी इंचार्ज के बीच लेनदेन की बातचीत के चार ऑडियो वायरल
कानपुर, अमृत विचार। सचेंडी में सब्जी विक्रेता सुनील कुमार राजपूत की आत्महत्या के मामले में पुलिस की तफ्तीश के साथ नई-नई चीजे खुलकर सामने आ रही हैं। चकरपुर चौकी इंचार्ज सतेन्द्र कुमार यादव और मृतक सब्जी विक्रेता के बीच दो ऑडियो जांच में सामने आए हैं। जिसमें एक ऑडियो में वह चौकी इंचार्ज को कह रहा है, कि तुम कार्रवाई करोगे उससे पहले मैं कार्रवाई करूंगा। मैं फांसी और फिर फोन कट जाता है। दूसरे ऑडियो में जेल में बंद वह अपने हिस्ट्रीशीटर भाई राजकुमार घोड़पड़े की लोकेशन चौकी इंचार्ज को बता रहा है कि पुलिस उसे पकड़ ले। अधिकारियों के अनुसार ऐसा क्यों हुआ इसकी जांच की जाएगी।
चार दिन बाद भी नहीं कर सकी तलाश
पुलिस की वर्दी पर दाग लगाने वाले दरोगा सत्येंद्र कुमार यादव और सिपाही अजय कुमार यादव को हाईटेक पुलिस तलाश नहीं कर पा रही है। आत्महत्या के लिए मजबूर करने के साथ वसूली की धारा बढ़ा दी गई है। सर्विलांस टीम के साथ पुलिस की तीन टीमें दरोगा और सिपाही की तलाश कर रही हैं। लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।
जल्द गिरफ्तारी नहीं हुई तो धरने पर बैठेंगे परिजन
सुनील राजपूत की मौत पर परिजनों ने पुलिस क प्रति रोष व्याप्त है। उन लोगों ने मांग की है, कि दरोगा सत्येंद्र यादव व सिपाही अजय यादव की जल्द से जल्द गिरफ्तारी नहीं होती तो वह लोग उच्चधिकारियों के चौखट पर धरना देने को मजबूर होंगे। मृतक की मां आशा और बहन रुचि ने कहा वह लोग किसी भी हाल में मुकदमे की पैरवी करेंगे और कोई समझौता नहीं करेंगे। वहीं घटना के तीसरे दिन शांति पाठ का कराया गया।
सुनील की मेहनत से पिता का खर्च चलता था
बड़े भाई छोटे राजपूत ने कहा कि मृतक सुनील सब्जी बेचकर मां पिता का खर्च चलता था। हाल ही में दरोगा के डर से सब्जी बेचना बंद करके नेशनल हाईवे के कर्मचारियों के लिए खाना बनाने का कार्य रहा था। जिसके एवज में 12 हजार रुपये महीने मिलता था। इसके बाद भी दरोगा और सिपाही उसे देखकर गालियां देते थे।
ऑडियो- 1- 52 सेकेंड
सुनील- हां।
चौकी इंचार्ज- तेरी दुकान कहां पर लगती है।
सुनील- वहीं जहां पर अजय सर आते थे, अरे राजकुमार घोड़पड़े के भाई हैं।
चौकी इंचार्ज- अरे राजकुमार घोड़पड़े का भाई है, तू मुझे जानता है।
सुनील- बिल्कुल जानते हैं सर।
चौकी इंचार्ज- तो मैने तुझसे पैसा मांगा था।
सुनील- बिल्कुल मांगा था सौदा भी मांगा था अजय ने जो आपके साथ रहता है।
चौकी इंचार्ज- नहीं तू मुझसे फोन कर रहा है मैं कौन बोल रहा हूं।
सुनील- चौकी इंचार्ज साहब बोल रहे हो।
चौकी इंचार्ज- चौकी इंचार्ज बोल रहा हूं तो तू कह रहा मुझे पैसा चाहिए। तू मुझे पैसा दे रहा है। तेरी सैलरी से मैं वर्दी पहन रहा हूं। तेरे पैसे से मेरे बच्चे पढ़ रहे हैं।
सुनील- मेरी बात सुनो, हमें अपनी न बताओ मेरी सुनो।
चौकी इंचार्ज- तू मेरी बात समझ। कह रहा है न मैं पैसा मांग रहा हूं। अभी कार्रवाई करता हूं तुझ पर।
सुनील-हम खुद कार्रवाई कराएंगे। मैं फांसी...और फोन कट जाता है।
ऑडियो- 2- 55 सेकेंड
चौकी इंचार्ज- हेलो, हां जयहिंद सर।
सुनील- जयहिंद सर।
चौकी इंचार्ज- जी।
सुनील- यह कह रहे हैं सर जो राजकुमार घोड़पड़े है न सर।
चौकी इंचार्ज- राजकुमार।
सुनील- घोरपड़े।
चौकी इंचार्ज- हां बताओ।
सुनील- बिठूर में हैं वर्तमान में।
चौकी इंचार्ज- सचेंडी क्षेत्र में नहीं है।
सुनील- नहीं यहां नहीं है।
चौकी इंचार्ज- कौन सी जगह है।
सुनील- बिठूर दरियापुर में नशे की हालत में है।
चौकी इंचार्ज- चलो एसओ साहब से बात कर लेता हूं फिर बताता हूं।
ऑडियो- 3- 43 सेकेंड
सुनील : भइया पहचान गए हमे।
सत्येंद्र : कौन बोल रहे हो।
सुनील : राजकुमार घोड़पड़े के भाई।
सत्येंद्र : हां बताओ।
सुनील : सर हमे मंडी में दुकान तो लगाने नहीं दोगे आप।
सत्येंद्र : क्या हुआ।
सुनील : क्या हुआ, आपको चाहिए पैसे, पैसे हम दे नहीं पाएंगे।
सत्येंद्र : कौन पैसे मांग रहा है।
सुनील : अनीस मांग रहे हैं, अजय जी मांग रहे थे आपके साथ में और आप स्वयं खुद मांग रहे हैं।
सत्येंद्र : ऐसा है।
सुनील : हां सर।
सत्येंद्र : मुझपे बिलेम लगाओगे, मुझे शक्ल से जानते हो।
सुनील : हां बिल्कुल जानते है सर।
सत्येंद्र : तो मैने तुझसे पैसे मांगे थे।
सुनील : नहीं दुकान लगाने का, आप चौकी आओ, एफआईआर है और पैसे।
सत्येंद्र : भाई कौन तुमसे पैसा मांग रहा है।
सुनील : अब पैसा मांगोगे फ्री में और पैसे मांगोगे तो कौन देगा।
ऑडियो-4- 56 सेकेंड
सुनील : हैलो।
सत्येंद्र : हां।
सुनील : हां सर सुनील बोल रहे।
सत्येंद्र : घोरपड़े के भाई।
सुनील : हां।
सत्येंद्र : क्यों मंडी में हमने एक लड़का भेजा था, तुमने उसे सब्जी नहीं दी।
सुनील : सर सौदा लेने के लिए वो उस दिन आया था, सौदा कल ले गए थे, मुझे मालूम नहीं था कि वो आपके साथ था, हमने कहा भइया पैसे तो बोला एसओ साहब देंगे तो हमने कहा कि एसओ साहब तो सौदा ले जाते हैं, हमने सोचा मजाक में कह रहा है।
सत्येंद्र : अरे तो हम दे ही देते पैसे, कल दे देते।
सुनील : नहीं सर आपके पैसे की बात नहीं है, हम सोचे मजाक कर रहा है। पैसे तो आप कल परसों जब देते तब दे ही देते।
सत्येंद्र : चलो ठीक है।
सुनील : सर वो कह रहे थे कि पहले चौकी पर आना नहीं तो दुकान मत लगाना।
सत्येंद्र : कौन कह रहा था।
सुनील : अनीस सर कह रहे थे।
सत्येंद्र : तो चलो आना तो आ जाना देखते हैं।
