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कासगंज: 80 प्रतिशत अवैध नर्सिंग होम, अस्पताल और क्लीनिक हो रहे संचालित
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कासगंज, अमृत विचार। जिले में 80 फीसदी अस्पताल बिना लाइसेंस के चल रहे हैं। साथ ही चार दर्जन से अधिक पंजीकृत अस्पतालों के पंजीयन की वैधता भी समाप्त हो चुकी है। ऐसे अस्पतालों पर सख्ती के बजाय पुनः विभाग द्वारा पंजीयन कराने का अनुरोध किया जा रहा है।
नवीनीकरण में फायर, प्रदूषण, वायोवेस्ट एनओसी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। अवैध तरीके से चल रहे अस्पतालों पर विभाग शिकंजा कसने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। यही वजह है कि जिले में नर्सिंग होम, अस्पताल, क्लीनिक फल फूल रहे हैं।
अवैध अस्पतालों पर विभाग की दया दृष्टि बनी हुई है। यही कारण है 47 पंजीकृत अस्पतालों की आड़ में 300 से अधिक अस्पताल चल रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग पंजीकृत अस्पतालों के संचालकों से अनुरोध कर रहे हैं कि ऑनलाइन आवेदन कर अपने अपने अपने लाइसेंस का नवीनीकरण कराएं, लेकिन संचालक भी एक एक कदम फूंक फूंककर रख रहे हैं। बताया गया कि 30 अप्रैल तक नवीनीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर देना था, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद भी अधिकांश अस्पताल संचालकों ने ऑनलाइन आवेदन भी नहीं किए हैं।
भौतिक सत्यापन के बाद होगा नवीनीकरण
जिन अस्पतालों के पंजीयन की वैधता समाप्त हो गई है और उन्होंने आवेदन किया हैं।जिनका भौतिक सत्यापान किया जाएंगा। विभाग के अधिकारी उन सभी अस्पतालों में जाएंगे। मानक को देखेंगे ।जरूरी उपकरण की जांच करेंगे। इन सब प्रक्रिया अपनाने के बाद ही विभाग लाइसेंस का नवीनीकरण करेगा। कमी पाए जाने पर लाइसेंस जारी नहीं होगा ।
जिले में धड़ल्ले से चल रहे अवैध अस्पताल
जिले से लेकर कस्बाई और ग्रामीण इलाको में अवैध नर्सिंग होम, हॉस्पिटल, क्लीनिक तरह फल फूल रहे हैं। सबसे ज्यादा सोरों, नगरिया, अमांपुर, गंजडुंडवारा,पटियाली, सिढपुरा, दरियावगंज में हैं। जिन पर स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा नहीं पा रहा है। आलम यह है कि अवैध रुप से वर्षों से संचालित करते चले आ रहे हैं। जिन पर बिना डिग्री धारी यानि हाईस्कूल, इंटर पास डॉक्टरी कर रहे हैं। जिन पर स्वास्थ्य विभाग का संरक्षण प्राप्त है।
नर्सिंग होम, हॉस्पिटल, क्लीनिक अवैध रुप से संचालित किए जा रहे हैं। उन पर विभाग द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। कई हॉस्पिटलों को सील किया गया है। नोटिस दिए गए हैं। जिन हॉस्पिटल संचालकों ने नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है। वह जल्द आवेदन करें, अन्यथा वह भी अवैध माने जाएंगे- डॉ. राजीव अग्रवाल, सीएमओ।
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