देहरादून: एसआईटी करेगी महिला डाक्टर से छेड़खानी मामले की जांच

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Published By Bhupesh Kanaujia
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देहरादून, अमृत विचार। एम्स में महिला चिकित्सक की शिकायत और रेजीडेंट चिकित्सकों के साथ वार्ता के बाद एसआईटी गठित कर दी गई है। सीओ के निर्देशन में पुलिस से दो महिला दरोगा, एक महिला कांस्टेबल, एम्स पुलिस चौकी इंचार्ज और एम्स के विधि अधिकारी और रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि एसआईटी में शामिल होगा। 

आपको बता दें कि इस प्रकरण को लेकर एक्स के चिकित्सक आंदोलनरत थे और एम्स प्रशासन पर कार्रवाई में देरी का आरोप लगाया था। आरोप लगाया था कि एम्स प्रशासन व पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और आरोपी को बचाने का प्रयास करने के लिए ओटी के दस्तावेजों में सहायक नर्सिंग अधिकारी ने छेड़छाड़ की है। 

इधर जांच के बाद एसएसपी ने डॉक्टरों को बताया के आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी गई है। एम्स निदेशक ने बताया कि सहायक नर्सिंग अधिकारी को ड्यूटी से हटा दिया गया है और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। आरोपी की बर्खास्तगी के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जाएगा।

15 दिनों में एसओपी की मांगकार्यस्थल पर कार्मिकों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने की मांग भी रेजीडेंट डॉक्टरों ने अधिकारियों के समक्ष प्रमुखता से रखी। रेजीडेंट डॉक्टरों का कहना था कि भविष्य में इस तरह की घटना न हाे यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है। इसके लिए एसओपी तैयार की जानी चाहिए। रेजीडेंट डॉक्टरों ने इसके लिए प्रशासन को 15 दिन का समय दिया है। 

एम्स प्रशासन का कहना है कि जल्द ही एसओपी बना दी जाएगी।विज्ञापनहड़ताल से व्यवस्थाएं हुईं प्रभावितरेजीडेंट डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से एम्स में व्यवस्थाएं गड़बड़ा गईं। आकस्मिक विभाग सहित अन्य विभागों में दिक्कतें हुईं। रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल का सबसे अधिक प्रभाव आकस्मिक विभाग व ट्रामा सेंटर पर पड़ रहा है। एम्स में करीब 150 से अधिक रेजीडेंट डॉक्टर हैं जो ओपीडी, ऑपरेशन, वार्ड से लेकर आकस्मिक व ट्रामा सेंटर में महत्वपूर्ण सेवाएं देते हैं।ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एसओपी बनाई जा रही है। इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी बनाई है। घटना को लेकर इंडियन नर्सिंग काउंसिल को भी लिखा जाएगा।

आपको बता दें कि आरोपी नर्सिंग ऑफिसर सतीश कुमार के बयान आज न्यायालय में दर्ज होंगे। बृहस्पतिवार को अवकाश होने के कारण आरोपी के कलमबंद (सीआरपीसी 164) के बयान नहीं हो पाए थे।

 

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