14,970 मासूमों की जिंदगी बर्बाद कर रहा कुपोषण, एनआरसी में भर्ती हैं आठ कुपाेषित बच्चे
बाराबंकी, अमृत विचार। लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी जिले में कुपोषण का प्रकोप खत्म नहीं हो रहा है। यह हाल तब है जब कुपोषण को खत्म करने के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं धरातल पर चल रही हैं तो बेअसर साबित होती दिख रही हैं। उधर कुपोषण की काली छाया मासूमों की जिंदगी को बर्बाद कर रही है। यही कारण है कि जिले के करीब 14,970 बच्चे कुपोषण से जंग लड़ रहे हैं। स्थिति ये है कि 3391 बच्चे लाल श्रेणी में हैं। ये बच्चे कुपोषण की गंभीर चिकित्सीय अवस्था (सैम) और 11,579 कुपोषण की चिकित्सीय अवस्था (मैम) की श्रेणी में हैं।
बच्चों में कुपोषण खत्म करने के लिए जिले में 3052 आंगनबाड़ी केंद्र बने हैं। यहां पर ऐसे बच्चों की लंबाई और वजन के हिसाब से उनके स्वास्थ्य की जांच होती है। विभाग के आंकड़ों के मुताबिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर 2,98,093 बच्चे पंजीकृत हैं। अप्रैल माह में 96.88 प्रतिशत यानी 2,88,783 बच्चों का वजन किया गया। इनमें से 14,970 बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए। इनमें से 3391 बच्चे गंभीर कुपोषित हैं, जो लाल श्रेणी में रखे गए हैं। यह आंकड़े काफी चौकाने वाले हैं क्योंकि बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए लाखों रुपये हर माह खर्च किए जा रहे हैं लेकिन स्थिति में वह सुधार नहीं दिख रहा है जो होना चाहिए था। वहीं गंभीर रुप से कुपोषित आठ बच्चों को जिला अस्पताल में बने दस बेड के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में भर्ती किया गया है। इन बच्चों की चिकित्सीय देखभाल के जरिए उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार होने की बात कही जा रही है।
कुपोषित बच्चों के आहार
तीन साल के बच्चे को 24 घंटे में 2 कप दूध, दो कटोरी दाल, 3-4 कटोरी मिक्स अनाज 6 से 8 बार खिलाना ठीक रहता है।
बच्चों को साफ पानी ही देना चाहिए।
कोई भी संक्रमण होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
छह माह के बच्चों को मां के दूध के अलावा दो कटोरी मसला हुआ खाना दिनभर में थोड़-थोड़ा कर के खिलाना चाहिए।
आठ से दस महीनों के बच्चों को मां के दूध के अलावा तीन कटोरी प्रोटीन युक्त खाना दिनभर में खिला देना चाहिए।
हर मौसम में विभिन्न मौसमी फलों या उनके रस को बच्चों को दें।
ब्लॉकवार पंजीकृत बच्चे--वजन हुए बच्चाें की संख्या---सैम व मैम बच्चों की संख्या
बंकी-- 20022---19808--130--652
बनीकोडर-- 20476--20019-- 161--866
बाराबंकी--6696--6641-- 20--119
दरियाबाद--19285--17379--337--1028
देवा-- 19863--18473-- 270--753
फतेहपुर--24059---22916-- 166--602
हैदरगढ़--19719--18938-- 182--599
हरख---15665--15172-- 176--546
मसौली---16697---16520-- 162--497
निंदूरा--22379--22200--280--988
पूरेडलई--14373--13994-- 92--548
रामनगर--20288---19965-- 331--666
सिद्धौर--22322--21934-- 255--752
सिरौली--18554--17998--381--1178
सूरतगंज--22800--22139-- 240--1045
त्रिवेदीगंज--22800--14687-- 208--740
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कुल-- 298093--288783--3391--11579
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कुपोषण के लक्षण
जन्म के समय दो किलो से कम वजन होना
बच्चे में चिड़चिड़ापन और सुस्ती रहना
बार-बार बीमारियों की चपेट में आना
बच्चे में उम्र के साथ वजन न बढ़ना
कई बच्चे ऐसे होते हैं, जो खाया पिया नहीं पचा पाते
इस तरह करें बचाव और बरतें सावधानी
रोगों से बचाने के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
नौ माह की आयु तक बच्चे को मां अपना दूध पिलाएं
जन्म से लेकर दो साल तक बच्चे रोज तीन कप दूध दें
रोजाना दो कटोरी दाल और दलिया दिया जाए
बच्चे को उबला हुआ पानी ठंडा कर पिलाएं
वर्जन--
अत्यंत कुपोषित बच्चों को समुचित उपचार दिलाया जाता है। सही देखभाल से बच्चा जल्दी ही कुपोषण की श्रेणी से बाहर आ जाता है। अभिभावकों को भी गंभीरता दिखानी चाहिए।विभाग समय-समय पर केंद्रों पर बच्चों वजन तौलने के अलावा चेकअप भी कराता है।- अखिलेंद्र सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी।
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