प्रयागराज : यौन उत्पीड़न और धर्मांतरण के मामले में आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक

प्रयागराज : यौन उत्पीड़न और धर्मांतरण के मामले में आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई पर रोक

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न और धर्मांतरण के प्रयास के मामले में आरोपी प्रिंसिपल को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान करते हुए उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही न करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने पाया कि प्रिंसिपल का नाम प्राथमिकी में नहीं है और उनके खिलाफ कोई सीधा आरोप भी नहीं लगाया गया है। इसके अलावा कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि अगर जांच में छात्र की भूमिका स्पष्ट होती है तो छात्र और उसके पिता दोनों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।
 
उक्त आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की खंडपीठ ने प्रिंसिपल सेंट अलॉयसियस हाईस्कूल कैंट, कानपुर नगर की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। कोर्ट ने सभी विपक्षियों से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा मांगा है और मामले की अगली सुनवाई आगामी 10 जुलाई 2024 को सुनिश्चित की है। कोर्ट ने कानपुर के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे मामले की जांच साइबर सेल को सौंप दें। अगर बच्चे ने महिला टीचर के मोबाइल फोन/आइडी का इस्तेमाल करके कोई फर्जी अकाउंट बनाया है तो इस संबंध में साइबर सेल रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
 
तथ्यों के अनुसार दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र के पिता ने आरोप लगाया कि उनके बेटे के स्कूल की एक महिला शिक्षिका ने उस पर यौन संबंध बनाने का दबाव बनाया और उनके बेटे का धर्मांतरण करवाकर उसे ईसाई बनाने का भी प्रयास किया। यह सब उन्हें अपने बेटे का फोन चेक करने के बाद पता चला। इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि आरोपी व्यक्तियों ने छात्र की अनुमति के बिना उसके चैट को सोशल मीडिया पर साझा किया और यह कई समाचार चैनलों पर भी वायरल हो गया। पिता ने कानपुर में बाल कल्याण समिति और एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्रवाई ना हो सकी।
 
हालांकि स्कूल प्रिंसिपल के अधिवक्ता ने बताया कि प्रिंसिपल के निर्देश पर जांच अलग-अलग स्तरों पर तीन स्वतंत्र व्यक्तियों द्वारा की गई। एक सेवानिवृत पीसीएस अधिकारी, दूसरे एक स्कूल के प्रिंसिपल और एक सामाजिक कार्यकर्ता। जांच में पाया गया कि डांस प्रतियोगिता के दौरान छात्र ने शिक्षिका का मोबाइल नंबर हासिल किया और उससे फर्जी आईडी बनाकर चैटिंग करके शिक्षिका पर मानसिक दबाव बनाने का प्रयास किया। प्रिंसिपल के अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जब मामला उजागर हुआ तो छात्र ने शिक्षिका के खिलाफ आरोप लगाने शुरू कर दिए। यद्यपि बच्चा नाबालिग है, लेकिन मानसिक रूप से मजबूत है और दूसरों पर हावी होने की प्रवृत्ति रखता है।