बरेली: मामला 360 करोड़ की जमीन का...बजट के इंतजाम के बिना ही अनाथालय बंद कर बनाने चले गुरुकुल

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Published By Vishal Singh
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दो साल से आर्य समाज अनाथालय खाली कराने की चल रही है कवायद, बाकी रह गई तीन लड़कियों को 30 जून तक निकलने का अल्टीमेटम

प्रशांत पांडेय/बरेली, अमृत विचार। शहर के बीच 360 करोड़ से ज्यादा अनुमानित कीमत की 42 बीघा जमीन पर स्थापित 140 साल पुराना आर्य समाज अनाथालय जून का महीना गुजरने के साथ बंद हो जाएगा। इस कीमती जमीन का आगे क्या होगा, यह फिलहाल अनिश्चित है। अनाथालय प्रबंधन आगे चलकर इस जमीन पर गुरुकुल स्थापित करने का दावा जरूर कर रहा है, लेकिन इसके लिए बजट के नाम पर उसकी झोली फिलहाल खाली है। आगे बजट का इंतजाम कहां से होगा, इसकी भी कोई योजना नहीं है। इसी वजह से अनाथालय प्रबंधन के इस फैसले पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

किसी समय आर्य समाज अनाथालय में 80-90 अनाथ बच्चों की परवरिश होती थी, लेकिन अब यहां सिर्फ तीन अनाथ लड़कियां ही रह गई हैं। इन्हें भी 30 जून तक अनाथालय खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया गया है। मानसिक दबाव बनाने के लिए इनसे बाकायदा एग्रीमेंट भी करा लिया गया है। वार्डन समेत 12-13 लोगों के बाकी स्टाफ को फरवरी में ही हटा दिया गया था। अनाथालय को बंद करने के साथ यहां गुरुकुल शुरू करने का पूरा फैसला अनाथालय प्रबंध कमेटी की ओर से ही लिया गया है। 

सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि 42 बीघा क्षेत्रफल में गुरुकुल स्थापित करने के लिए बजट के नाम पर फिलहाल प्रबंध कमेटी के पास कुछ नहीं है। बजट के इंतजार में कब तक यह जमीन खाली पड़ी रहेगी और फिर उस पर गुरुकुल ही शुरू होगा या कुछ और, यह ऐसा सवाल है जिसका कोई स्पष्ट जवाब अभी किसी के पास नहीं है।

इस्लामिया मार्केट के नजदीक 42 बीघा जमीन में आर्य समाज अनाथालय के मुख्य भवन के साथ पीलीभीत रोड पर सनराइज एन्क्लेव में भी अनाथालय की तीन सौ गज जमीन है। इसके अलावा चाहबाई में करीब एक बीघा और नौमहला मस्जिद के पास करीब एक बीघा जमीन है जो अनाथालय को दान की गई थी। शहर और शहर से बाहर भी अनाथालय की कई और भू संपत्तियां बताई जाती हैं जो करोड़ों की कीमत की हैं। सारी भूसंपत्तियां उदार लोगों ने अनाथालय में बेघर बच्चों की अच्छी परविश के लिए इस संस्था को दान की थीं लेकिन अब अनाथालय प्रबंधन ने अनाथालय का अस्तित्व ही खत्म करने की तैयारी शुरू कर दी है।

सवाल : अनाथालय ही नहीं रहेगा तो उसकी कमेटी की क्या मान्यता
अनाथालय को बंद करके गुरुकुल शुरू करने की योजना पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। बजट के इंतजाम के बगैर गुरुकुल बनाने की योजना को क्रियान्वित करने पर तो सवाल है ही, यह भी कहा जा रहा है कि जो कमेटी अनाथालय को बंद करने जा रही है, उसे अनाथालय के लिए ही चुना गया था। जब अनाथालय नहीं रहेगा तो कमेटी और उसके निर्णय कैसे मान्य हो सकते हैं। यह भी कहा जा रहा है कि कमेटी के पास अनाथालय और उसकी संपत्ति की स्वामित्व नहीं है तो वह कैसे कोई निर्णय ले सकती है।

महर्षि दयानंद सरस्वती ने स्थापित कराया था आर्य समाज अनाथालय
अनाथालय का इतिहास जानने वाले लोगों के मुताबिक आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती 1883-84 में बरेली आए थे। उन दिनों वह बच्चों की चोरी, बाल शोषण और उनकी अशिक्षा दूर करने के लिए अभियान चला रहे थे। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने यहां दान की जमीन पर अनाथालय की स्थापना कराई गई थी। करीब 140 बरसों में हजारों अनाथ बच्चों को अनाथालय में रहकर आत्मनिर्भर होने के लिए सहारा मिला लेकिन 2022 के बाद यहां गठित हुई कमेटी ने अनाथालय का स्वरूप बदलकर गुरुकुल स्थापित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया। दिसंबर 2022 तक यहां 55- 60 अनाथ और बाल विकास समिति में पंजीकृत लड़के और लड़कियां थे जिन्हें भरण पोषण के साथ शिक्षा भी मुहैया कराई जा रही थी। अब अनाथालय प्रबंधन के मुताबिक यहां युवाओं को शिक्षित करने और धर्म शास्त्रों का ज्ञान देने के लिए गुरुकुल बनाया जाएगा।

कहां जाएंगी अनाथालय में रह रहीं जवान लड़कियां, कोई मतलब नहीं
अनाथालय में फिलहाल जो तीन लड़कियां रह रही हैं, उनका भविष्य अनिश्चित हो गया है। इनमें से एक बीएड की पढ़ाई कर रही है और दूसरी स्नातक। तीसरी लड़की की शादी तय हो चुकी है। प्रबंध कमेटी की ओर से उनसे अनाथालय छोड़ने का एग्रीमेंट तो करा लिया है लेकिन उनके भरण-पोषण और जीवनयापन के लिए कोई इंतजाम नहीं किया है। तीनों लड़कियां बचपन से ही यहां रह रही हैं और उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि वे कहां रहेंगी और खाने-पीने समेत दूसरी जरूरतें कैसे पूरी करेंगी।

आठ साल की बच्ची से छेड़छाड़ के आरोप में जेल गए, लौटकर फिर प्रधान पद पर काबिज
जुलाई 2023 में अनाथालय के प्रधान ओमकार आर्य पर आठ साल की एक बच्ची के साथ अश्लील हरकतें करने के आरोप में केस दर्ज हुआ था। इस मामले में तत्कालीन महिला सीओ ने सीसीटीवी फुटेज और बच्ची के बयानों के आधार पर आरोपों को पुष्ट माना था। इसके बाद पुलिस ने ओमकार आर्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। कहा जा रहा था कि ओमकार आर्य के जेल जाने के बाद कमेटी दूसरे प्रधान का चयन करेगी लेकिन लोगों को तब आश्चर्य हुआ जब ओमकार जेल से लौटकर आर्य समाज अनाथालय के प्रधान की कुर्सी पर काबिज हो गया। बता दें कि अनाथालय का संरक्षण आर्य समाज बिहारीपुर की समिति करती है। समिति के सदस्य ही पदाधिकारियों का चयन करते हैं। कई बार अनाथालय की संपत्ति पर लोगों की निगाह होने का मामला भी चर्चा में रहा है।

प्रधान बोले- गुरुकुल बनाने का फिलहाल बजट नहीं, दानदाताओं से सहयोग लेंगे
आर्य समाज अनाथालय के प्रधान ओमकार आर्य का कहना है कि अनाथालय में गुरुकुल शिक्षण पद्धति से शिक्षण कार्य कराया जाएगा। गुरुकुल में बालक-बालिकाओं के अलग-अलग रहने और शिक्षण की व्यवस्था विकसित की जाएगी। ओमकार ने बताया कि गुरुकुल के निर्माण के लिए कमेटी के पास फिलहाल कोई बजट नहीं है। जो भी है, वह दान से ही जुटाया गया। गुरुकुल के निर्माण के लिए दानदाताओं का सहयोग लिया जाएगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी है, इसीलिए अनाथालय खाली कराया जा रहा है। संस्थान की कमेटी के पास अनाथालय का स्वरूप बदलने का अधिकार है।

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