अयोध्या: 1600 किलो की गदा व 1100 किलो का धनुष-बाण रामलला को समर्पित

राजस्थान से आए पंच धातु से निर्मित गदा व धनुष को कारसेवकपुरम में रखाया गया 

अयोध्या: 1600 किलो की गदा व 1100 किलो का धनुष-बाण रामलला को समर्पित

अयोध्या, अमृत विचार। अयोध्या में रामलला को एक बार फिर से बड़ा उपहार मिला है। इस बार उन्हें पंच धातु से निर्मित 1600 किलो की गदा और 1100 किलो का धनुष-बाण समर्पित िकया गया है। राजस्थान के सुमेरपुर के शिवगंज स्थित श्री सनातन सेवा संस्थान ने गदा और धनुष को बनवाया है। 

संस्थान की आचार्य सरस्वती देव कृष्णा गौर और राजस्थान से आए कारीगरों ने रविवार देर शाम रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को दोनों ही चीजें प्रतीकात्मक रूप से सौंपी। हालांकि अभी दोनों को कारसेवकपुरम में रखाया गया है।  

आचार्य सरस्वती देव कृष्णा गौर ने बताया कि श्रीराम व हनुमान जी महाराज के प्रति उनकी अपार आस्था है। इसी वजह से उन्होंने अपना श्रद्धा सुमन हनुमान जी महाराज के लिए गदा व श्रीराम के लिए धनुष बाण के रूप में समर्पित किया है। हालांकि धनुष का आकार ज्यादा होने के कारण उसको खंडित करके लाया गया है। श्रीरामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि दोनों ही उपहारों को राम जन्मभूमि में ही उचित स्थान दिया जाएगा, ताकि श्रद्धालुओं को इनका दर्शन प्राप्त हो सके। 

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20 कारीगरों ने 75 दिन में बनाया 

पांच धातुओं से निर्मित गदा का वजन 1600 किलोग्राम है। गदा की लंबाई 26 फीट और चौड़ाई 12 फीट है। 20 कारीगरों ने 75 दिन में गदा को तैयार किया है। वहीं धनुष-बाण का वजन 1100 किलोग्राम है। इसकी लंबाई 33 फीट व ऊंचाई 26 फीट है। इसे भी 20 कारीगरों ने 75 दिन में बनाया है। सुमेरपुर के कारीगर कैलाश सुथार धनुष-बाण और गदा के बारे में बताते हुए कहते हैं कि भगवान श्रीराम का धनुष और भगवान हनुमान की गदा बनाने का काम उनकी फर्म वास्तु आर्ट शिवगंज को मिला था।

12 जून को राजस्थान से हुआ था रवाना

राजस्थान में गदा और धनुष बाण का पूजन कर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चम्पतराय ने 12 जून को भगवा ध्वज दिखाकर श्री गोपाल जी मंदिर शिवगंज सिरोही राजस्थान से रवाना किया था। 

अब तक मिल चुके हैं अनेकों उपहार 

रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद देश भर से कीमती उपहार पहुंच रहे हैं। अब तक अलीगढ़ से बड़ा ताला, खड़ाऊं, बांसुरी, तलवार, स्वर्ण मुद्रित रामायण, नगाड़ा, घंटा, शंख समेत दर्जनों सामान रामलला को समर्पित हो चुके हैं।

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