बरेली: 'धर्मात्माओं' के शहर में अनाथालय बंद...ये अनाथ बच्चियां अब कहां जाएं

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Published By Vishal Singh
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तीन बच्चियों के पिता की पिछले महीने सूजे से घोंपकर कर दी गई थी हत्या, बीमारी से मां की चार साल पहले ही हो चुकी है मौत

बरेली, अमृत विचार। शहर को चलाने वालों ने उसे नाथ नगरी का नाम दे दिया। धर्म के नाम पर होने वाले तमाम बड़े कार्यक्रम भी अक्सर इस शहर में चर्चा में रहते हैं। जब-तब अखबारों की सुर्खियों के हिसाब से धर्मात्माओं की भी कमी नहीं है लेकिन इसी शहर में ''परहित सरस धर्म नहीं कोई'' जैसे सूत्र वाक्य की धज्जियां उड़ रही हैं। गैरकानूनी ढंग से आर्य समाज अनाथालय बंद होने से अनाथ बच्चों के भविष्य पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इन्हीं फतेहगंज पश्चिमी की हाल ही में अनाथ हुई तीन बच्चियां भी शामिल है जिन्हें आसरा देने के लिए जिला प्रशासन से फरियाद की गई है लेकिन प्रशासन भी फिलहाल कोई जवाब दे पाने की स्थिति में नहीं है।

तीनों बच्चियां फतेहगंज पश्चिमी के माधोपुर गांव की हैं। उनकी मां की चार साल पहले ही बीमारी की वजह से मौत हो गई थी। पिता संजू जैसे-तैसे मजदूरी करके तीनों को पाल रहे थे, लेकिन 15 मई को गांव में पहुंचे बर्फ का गोला बेचने वाले शेरसिंह ने सूजा घोंपकर उनकी भी हत्या कर दी। वजह इतनी सी थी कि बच्चियों ने उसे देखकर बर्फ का गोला खाने की जिद की थी। बर्फ का गोला 10 रुपये का था लेकिन संजू के पास तीनों बेटियों को बर्फ खिलाने के लिए 15 रुपये ही थे। उन्होंने पांच-पांच रुपये में गोला मांगा तो शेरसिंह ने इन्कार कर दिया। इसी बात पर विवाद हुआ तो शेरसिंह ने उनके सीने सूजा घोंप दिया। इस घटना ने संजू की 11 साल की बेटी शशि, 8 साल की मुस्कान और 6 साल की सीमा को अनाथ कर दिया।

सोमवार को संजू की तीनों बेटियों को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे उनके भाई प्रेमपाल ने डीएम को प्रार्थनापत्र देकर बताया कि संजू की मौत के बाद वे लोग तीन भाई बचे हैं। किसी की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि संजू की बेटियों का पालन-पोषण कर सके। फिलहाल तीनों उन्हीं के पास रह रही हैं लेकिन उन्हें स्थाई सहारा न मिला तो उनका जीवन अंधकारमय हो जाएगा। डीएम ने प्रेमपाल का प्रार्थनापत्र एसडीएम सदर को भेज दिया। एसडीएम सदर रत्निका श्रीवास्तव ने बताया कि इस तरह की आर्थिक सहायता देने के लिए प्रशासन के पास कोई बजट नहीं आता। फिर भी मामले को दिखवाकर हर संभव मदद की कोशिश की जाएगी।

अनाथालय में थी तो मेरी पीठ पर हाथ फिराता था, गंदे इशारे भी करता था

पूर्व संवासिनी ने अमृत विचार को फोन कर साझा की अनाथालय में अपने साथ हुई ज्यादती
आर्य समाज अनाथालय से जबरन निकाली गई एक लड़की ने सोमवार को अमृत विचार को फोन कर अपने साथ हुए वहशीपन की दास्तां सुनाई। उसने कहा कि खुद उसके साथ भी अनाथालय में कई बार पीठ पर हाथ फिराने और गंदे इशारे करने जैसी अमर्यादित हरकतें की गई थीं। उसने विरोध किया तो उसे जबरन कागज पर साइन कराकर अनाथालय से निकलने के लिए मजबूर कर दिया गया।

यह पीड़ित लड़की अब शादी-शुदा जिंदगी गुजार रही है। उसने बताया कि उसके साथ इस तरह बदसलूकी की शुरुआत तब हुई, जब अनाथालय की एक छोटी लड़की के बीमार पड़ने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसे जबरन उसकी देखभाल के लिए अस्पताल भेज दिया गया। अस्पताल में ही बीमार लड़की को देखने के बहाने पहली बार उसे गलत तरह से छुआ गया। इसके बाद यह सिलसिला शुरू हो गया। उसने जब भी विरोध किया तो उसके साथ बेहद बदतमीजी से बात की गई। बार-बार उससे अनाथालय से निकल जाने को कहा जाने लगा।

उसने दावा किया आठ साल की जिस लड़की से छेड़खानी के आरोप में प्रधान ओमकार आर्य जेल गया था, उसके साथ अनाथालय में एक बार नहीं बल्कि कई बार अश्लीलता की गई थी। उसने कई बार यह बात अनाथालय में ही रहने वाली अपनी बड़ी बहन और उसकी बहन ने दूसरी लड़कियों को बताई थी। कई और लड़कियों के साथ भी इसी तरह की हरकतें की गईं जो कोई और सहारा न होने की वजह से इस बारे में कुछ कह भी नहीं पाईं। उसने कहा कि वह चाहती है कि इस मामले में गहन जांच और कार्रवाई हो।

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