Exclusive: मदरसों के बच्चों को भी आईएएस-पीसीएस लायक पढ़ाई; आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाने की तैयारी
हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के बाद दिशाहीन हो जाते मुस्लिम बच्चे और छोड़ देते हैं पढ़ाई
कानपुर, जमीर सिद्दीकी। मदरसों का नया सत्र इसी सप्ताह से शुरु हो जायेगा। इक्का दुक्का मदरसों में छात्र-छात्राएं आने भी लगे हैं। इस बार मदरसों की तस्वीर में काफी बदलाव दिखाई देगा। अब मदरसों में दीनी तालीम के साथ साथ बच्चों को दुनियावी तालीम यानी आईएएस-पीसीएस लायक शिक्षा भी दी जाएगी। इसके लिए बचपन से ही बच्चों का बौद्धिक परीक्षण करने का काम शुरु हो चुका है।
शहरकाजी का कहना है कि जो लोग ऐसा सोचते हैं कि मदरसों में सिर्फ दीनी तालीम ही दी जाती है उन्हें ये बताना है कि अब मदरसों में आईएएस, पीसीएस लायक पढ़ाई का प्रावधान किया जा रहा है। कानपुर में ये काम शहरकाजी हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी ने शुरू किया है जिन्होंने अपने मदरसा इशाअतुल उलूम कुलीबाजार में तीन से पांच साल के बच्चों से इसकी शुरुआत की है।
ऐसे बच्चों का आईक्यू लेबिल कितना है, मदरसा उस्ताद, अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, गणित व अन्य विषयों पर बच्चों की बौद्धिक परीक्षा ले रहे हैं। जो बच्चे तेज तर्रार हैं, उन्हें चयनित करने का काम शुरू हो गया है। अब तक लगभग 35 बच्चों को चयनित किया गया है। फािनल चयनित बच्चों की तालीम भविष्य में आईएएस, पीसीएस बनाने लायक दी जाएगी।
एक्सपर्ट टीचर्स से कोचिंग
शहरकाजी हाफिज मौलाना हाफिज कुद्दूस हादी का कहना है कि अभी जो बच्चे चयनित किए जा रहे हैं, उनमें भी ज्यादा तेजतर्रार बच्चों को तलाशा जाएगा। पहले बच्चों की टीम तैयार हो जाएगी, फिर आगे की कार्यवाही शुरु की जाएगी। शहरकाजी ने बताया कि इस अभियान के इंचार्ज मौलाना अबू बकर हादी बनाए गए हैं। बच्चों की शिक्षा से कोई समझौता नहीं होगा और कोचिंग से लेकर उच्च शिक्षा तक पूरी जिम्मेदारी उठाई जाएगी।
अब शिक्षा में गरीबी आड़े नहीं आएगी
शहरकाजी ने कहा कि मुस्लिमों में इधर कुछ वर्षों में शिक्षा की अलख जगी है लेकिन मुस्लिम बच्चों को हाई एजुकेशन की जानकारी नहीं होने के कारण बच्चे इंटर, ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट तक तालीम लेकर घर बैठ जाते हैं। कई ऐसे बच्चे हैं जिनके अंदर प्रतिभा है, दिशा भी उनके पास है लेकिन गरीबी के कारण उच्च शिक्षा नहीं ले पाते हैं, ऐसे बच्चों को हर संभव मदद करेंगे कि वे आईएएस-पीसीएस, आईएफएस आदि की शिक्षा कैसे ग्रहण करें। एक्सपर्ट उन्हें बतायेंगे कि आगे की पढ़ाई कैसे करें।
मदरसों में छात्रों को कम्प्यूटर और छोटे बच्चों को इंगलिश, गणित, हिंदी आदि भाषा पढ़ाई जाती है लेकिन ये पढ़ाई कक्षा 8 से 12 के बीच ही रह जाती है। इनमें कई ऐसे छात्र हैं जो बहुत प्रतिभावान होते हैं लेकिन दिशा नहीं मिलने या फिर आर्थिक तंगी के चलते आगे की पढ़ाई छोड़ देते हैं। शहरकाजी ने तय किया है कि बच्चों को तालीम की ओर ले जाया जाएगा। इसके लिए बाकायदा मोहल्लों से लेकर गलियों तक स्कूल चलो अभियान चलेगा।- मौलाना अबू बकर हादी, कार्यक्रम संयोजक, उस्ताद, मदरसा इशाअतुल उलूम, कुलीबाजार
