बरेली: कुछ दिन बाद लोहे के भाव बिकेगा 'स्काई वॉक', दो पूर्व मेयर ने बताया पैसों की बर्बादी

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Published By Vivek Sagar
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बरेली, अमृत विचार। करीब 11 करोड़ की लागत से बने स्काई वॉक की उपयोगिता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। शहर के दो पूर्व मेयर ने स्मार्ट सिटी के इस प्रोजेक्ट को पैसों की बर्बादी बताया है। उनका कहना है कि करोड़ों रुपये स्काई वॉक पर खर्च करने से पहले यह नहीं सोचा गया कि इसका कोई उपयोग भी हो पाएगा या नहीं। स्काई वॉक ने भीड़भाड़ वाले पटेल चौक पर भी नई समस्याएं खड़ी कर दी हैं।

पटेल चौक पर स्मार्ट सिटी के तहत बने स्काई वॉक का काम तो पूरा होने के दावा किया जा रहा है लेकिन अब तक इसे शुरू किए जाने की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। स्काई वॉक बनने से जाम की समस्या और बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि स्मार्ट सिटी कंपनी के अधिकारियों के लिए इसे शुरू करना तो चुनौती होगा ही, इससे भी ज्यादा मुश्किल यहां हादसे न होने की गारंटी देना होगा।

स्मार्ट सिटी के पैसे का दुरुपयोग किया गया है। स्काई वॉक बनने से किसी को फायदा नहीं होने वाला है। करीब 11 करोड़ रुपये खर्च हो चुके है लेकिन नतीजा शून्य है। मेरा मानना है कि शुरू होने के एक साल के अंदर ही इसे लोहे के भाव नीलाम करने की नौबत आ जाएगी। सिर्फ स्काई वॉक नहीं, स्मार्ट सिटी के कई और प्रोजेक्ट पर पैसा बर्बाद किया गया है। -डॉ. आईएस तोमर, पूर्व मेयर

आजकल तो बड़े-बड़े पुल गिर रहे है। स्काई वॉक पर दुकानें होंगी और भारी संख्या में लोग जाएंगे तो यहां भी हादसा हो सकता है। बगैर जरूरत स्काई वॉक बना दिए जाने से चौराहा तंग हो गया है। वहां जाने से दम घुटता है। पैसे की बर्बादी हुई है। बिना बारिश शहर की कॉलोनियों में पानी भर रहा है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है। बिना मतलब का काम किया गया है। -सुप्रिया ऐरन, पूर्व मेयर

स्कॉई वाक आने वाले समय में पटेल चौराहे पर जाम का बड़ा कारण बनेगा। बिना सोचे-समझे यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। इस पर जितना बजट खर्च हो चुका है, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इससे अच्छा होता कि दिल्ली की तर्ज पर पालिका बाजार का निर्माण कराया जाता। इसके लिए नगर निगम के पास जमीन भी है। लोगों को एक नया बाजार मिल जाता। -राजेश अग्रवाल, पार्षद

बरेली में स्काई वाक बनाने का सिर्फ इतना नतीजा है कि जनता का पैसा बर्बाद किया गया है। इसकी कोई जरूरत नहीं थी। पहले उन जनसुविधाओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए था जो बहुत ज्यादा जरूरी हैं। शहर में पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है। मगर इसकी अनदेखी हो रही है। स्काई वॉक का जनता के लिए कोई उपयोग नहीं है। -प्रदीप कुमार, पूर्व विभागाध्यक्ष विधि विभाग, बरेली कॉलेज

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