राहुल गांधी ने भारतीय परीक्षा प्रणाली को बताया ‘फ्रॉड’, शिक्षा मंत्री ने किया पलटवार

Amrit Vichar Network
Published By Vishal Singh
On

नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ में कथित अनियमितता के विषय को लेकर सोमवार को सदन में सरकार पर प्रहार किया और दावा किया कि देश के करोड़ों छात्रों एवं देशवासियों को ‘‘इस बात का यकीन हो गया है कि भारतीय परीक्षा प्रणाली एक ‘फ्रॉड’ (धोखे वाली) है तथा जिसके पास पैसा है वह इस पूरी प्रणाली को खरीद सकता है’’।

इस पर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पलटवार किया और सवाल किया कि क्या 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने शिक्षा में सुधार से जुड़ा विधेयक निजी मेडिकल कॉलेजों के दबाव में वापस ले लिया था? उन्होंने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष का पूरी परीक्षा प्रणाली को ‘बकवास’ कहना दुर्भाग्यपूर्ण है।

सदन में प्रश्नकाल के दौरान नीट के विषय पर पूरक प्रश्न पूछते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘‘परीक्षा प्रणाली में बहुत खामियां हैं। मंत्री ने अपने आपको छोड़कर, सबको जिम्मेदार ठहराया है...मुझे नहीं लगता कि जो चल रहा है, उसकी बुनियादी जानकरी भी उन्हें है।’’

उन्होंने दावा किया कि करोड़ों छात्र आज चिंतित हैं तथा उन्हें ‘‘इस बात का यकीन हो गया है कि भारतीय परीक्षा प्रणाली एक ‘फ्रॉड’ है’’। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘करोड़ों लोगों का मानना है कि अगर आपके पास पैसा है, आप अमीर हैं तो आप भारतीय परीक्षा प्रणाली को खरीद सकते हैं। यही भावना विपक्ष की भी है।’’ उन्होंने सवाल किया कि सरकार व्यवस्थागत स्तर पर चीजों को दुरुस्त करने के लिए क्या कर रही है?

इस पर प्रधान ने कहा, ‘‘मुझे बौद्धिकता और संस्कार का प्रमाणपत्र किसी से नहीं चाहिए। देश के लोकतंत्र ने हमारे प्रधानमंत्री को चुना है मैं उनके निर्णय से यहां जवाब दे रहा हूं।’’ शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘यह कहा गया कि देश की भारतीय परीक्षा प्रणाली बकवास है, इससे दुर्भाग्यपूर्ण बयान कुछ नहीं हो सकता। मैं इसकी निंदा करता हूं।’’

उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, ‘‘जिन्होंने रिमोट से सरकारें चलाई हैं, उनके समय के शिक्षा मंत्री 2010 में तीन विधेयक लेकर आए थे, उनमें एक विधेयक शिक्षा में सुधार से जुड़ा विधेयक था।’’ प्रधान का कहना था, ‘‘हमारी सरकार की हिम्मत है कि हमने (पेपर लीक पर) कानून बनाया, लेकिन कांग्रेस और नेता प्रतिपक्ष की क्या मजबूरी थी कि उनके समय लाए गए विधेयक को वापस लिया गया? क्या निजी मेडिकल कॉलेज और उनकी घूसखोरी के दबाव में इसे वापस लिया गया था?’’

सदन में हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सदन में सार्थक चर्चा होनी चाहिए, लेकिन सारी परीक्षाओं पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। उनका कहना था, ‘‘राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें रहीं हैं, जहां परीक्षाओं पर प्रश्न उठे...हम इसलिए यहां बैठे हैं कि विद्यार्थियों के भविष्य पर सवाल नहीं उठें। इसलिए ऐसी व्यवस्था विकसित करें कि परीक्षा पर सवाल नहीं उठे...सब सुझाव दें। सरकार भी उत्तम सुझाव को मानेगी।’’ बिरला ने कहा, ‘‘हम सारी परीक्षाओं पर सवाल उठाएंगे तो उत्तीर्ण होने वाले बच्चों के भविष्य पर, भारत की परीक्षा व्यवस्था पर गंभीर असर होगा जो सदन के लिए चिंता का विषय है।’’

ये भी पढ़ें- Parliament Monsoon Session: हमारा लक्ष्य सरकार की गांरटी को जमीन पर उतारना है, बजट सत्र से पहले बोले PM मोदी

संबंधित समाचार