जवाहर पंडित हत्याकांड मामले में पूर्व BJP विधायक उदयभान करवरिया नैनी जेल से रिहा, पत्‍नी और समर्थकों ने किया स्‍वागत

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Published By Vishal Singh
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प्रयागराज। सपा के पूर्व विधायक जवाहर पंडित हत्याकांड के मामले में नैनी सेंट्रल जेल में सजा काट रहे भाजपा के बारा के पूर्व विधायक उदयभान करवरिया गुरुवार की सुबह 7.37 पर कारागार से रिहा हो गए। रिहाई के पहले ही जेल गेट पर उन्हें लेने के लिए उनकी पत्नी नीलम करवरिया, बेटा सक्षम और वैभव समेत परिवार के अन्य सदस्य व रिश्तेदार पहुंचे थे। जेल गेट के बाहर आते ही उदयभान और उनके चेहरे पर बेहद खुशी दिखी। उन्होंने सूबेदार से हाथ मिलाया। जिसपर सूबेदार ने उन्हें बधाई दी। 

नैनी सेंट्रल जेल में जनवरी 2014 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया गुरुवार सुबह रिहा कर दिए गए। रिहाई के समय उनकी पत्नी पूर्व भाजपा विधायक नीलम करवरिया व अन्य समर्थक भी जेल के बाहर मौजूद रहे। राज्य सरकार ने अच्छे चाल चलन की वजह से समय पूर्व उनकी रिहाई का आदेश दिया है।

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यह आदेश 19 जुलाई को जारी हुआ था। कागजी खानापूर्ति में पांच दिन और लग गए। प्रयागराज मंडल की राजनीति में बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले पूर्व विधायक उदयभान करवरिया और उनके भाइयों और बड़े भाई पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया तथा छोटे भाई पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया के अलावा रिश्तेदार रामचंद्र त्रिपाठी ( कल्लू) को झूंसी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित हत्याकांड में उम्र कैद मिली थी। जवाहर पंडित की 13 अगस्त 1996 में सिविल लाइंस क्षेत्र में एके 47 से गोली मारकर हत्या की गई थी।

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क्या बोले उदयभान
उदयभान जेल गेट से निकलने के बाद कहा कि वैसे तो न्याय प्रक्रिया पर कुछ बोलना ठीक सही नहीं है, लेकिन न्याय की बात होती तो हमें जेल नहीं जाना पड़ता। हम तो प्रोफ़ाइल का शिकार होकर फंस गए। राजनीति में दो पार्टियों की राजनीति के षड्यंत्र में 10 साल की जेल काटना पड़ा। हमने समाज की सेवा की है और आगे भी करना है।

पत्नी का इलाज पहली प्राथमिकता
उदयभान करवरिया ने कहा कि बाहर आने के बाद सबसे पहली प्राथमिकता पत्नी का इलाज कराना है। उन्हें लीवर सोराइसिस है। उनका लीवर ट्रांसप्लांट कराना काफी जरूरी है। उनका स्वास्थ्य कैसे बेहतर हो यह पहले देखना है। राजनीती के सवाल पर उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी राजनीति करेगी। इसके बाद वह अपने परिवार व अन्य समर्थकों के काफ़िले के साथ अपनी कोठी के लिए रवाना हो गए।

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