Raksha Bandhan 2024: कानपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा रक्षाबंधन का पर्व...बहनों ने भाइयों की कलाई पर बांधा रक्षा सूत्र

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। कानपुर में सावन मास की पूर्णिमा को होने वाले रक्षाबंधन पर्व भाई और बहन की पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। सोमवार को इस पवित्र रिश्ते रक्षाबंधन को बहनों ने अपने-अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर उनकी दीर्घायु की प्रार्थना की। भाइयों ने इस दौरान बहनों को उपहार भी दिए और उनकी रक्षा करने का वचन भी दिया। वैसे इसको लेकर पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है। रक्षाबंधन का संबंध श्रवण कुमार, कृष्ण और द्रौपदी, रक्षाबंधन का संबंध इंद्र से भी जुड़ा है। 

रक्षाबंधन बादशाह और हुमायूं से भी जुड़ा है। लोग अलग-अलग तरीके से इस त्यौहार को परिभाषित करते हैं। लोगों का मानना है कि महाभारत कथा से जुड़ा हुआ पर वह क्योंकि युद्ध में पांडवों की जीत को सुनिश्चित करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को रक्षा के लिए रक्षा सूत्र बांधा था।

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाले इस त्यौहार को लेकर कई मान्यताएं माना जाता है कि यह त्यौहार महाराज दशरथ के हाथों श्रवण कुमार की मृत्यु से भी जुड़ा है इसलिए मानता है कि यह रक्षा सूत्र सबसे पहले गणेश जी को अर्पित किया जाता है फिर श्रवण कुमार के नाम से एक राखी अलग निकालकर रख दी जाती है। 

जिसे प्राण दायक वृक्षों को भी बढ़ सकते हैं। रक्षाबंधन पर्व को इंद्र से भी जोड़ा गया है बताते हैं कि देवराज की पत्नी शुची ने गुरु बृहस्पति के कहने पर देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। तब जाकर समस्त देवताओं के प्राण बचे थे। इन तमाम मान्यताओं के साथ सोमवार को रक्षाबंधन पर धूमधाम के साथ मनाया गया। जिसमें बहनों ने अपने-अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर सुरक्षा का वचन लिया। इस मौके पर बहनों ने भाइयों को तिलक कर उन्हें मिष्ठान भी खिलाया। 

शुभ मुहूर्त का इंतजार करती रही बहनें

इस बार सावन मास की पूर्णिमा को होने वाले रक्षाबंधन पर्व के दिन भद्रा नक्षत्र लगने के चलते बहनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। बहने अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बढ़ने के लिए शुभ समय का इंतजार करती रही। क्योंकि शुभ मुहूर्त 2:06 से शुरू हुआ, फिर लगातार चलता रहा।

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