केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयः नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से जगमगाया विश्वविद्यालय

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयः नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव से जगमगाया विश्वविद्यालय

लखनऊ, अमृत विचारः केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर शिक्षकों, छात्रों एवं छात्राओं ने भगवान श्रीकृष्ण का षोडशोपचार पूजन किया। पूजन के बाद परिसर में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन हुआ। जिसका विषय घृणा से महाविनाश और प्रेम से परमानन्द की प्राप्ति था।

विशिष्ट वक्ता के रूप में ज्योतिषशास्त्र के वरिष्ठ आचार्य एवं डीन प्रो. सर्वनारायण झा ने कहा कि भारत भूमि देवभूमि है, यहां के कण-कण में आध्यात्मिक चेतना झलकती है, घर-घर में कृष्ण नाम संकीर्तन की गूंज हमेशा ही सुनाई देती रहती है। कहीं हरि बोल, कहीं श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, तो कहीं हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे का संकीर्तन लोगों को भक्ति रस में डुबोता रहता है। छोटे-छोटे गांवों में पण्डित श्रीमद्भागवत कथा का अमृतपान लोगों को कराते रहते हैं और गांव में किसान दिन भर की थकान के बाद जब चैपाल में बैठते हैं तो या तो स्वयं कृष्ण लीला के विषय में चर्चा करते हैं या कहीं-कहीं मथुरा, वृन्दावन से आए हुए कृष्ण लीला मंडली द्वारा झांकी दिखाई जाती है। 

प्रो. सर्वनारायण झा ने कहा कि स्वर्ग से बहती गंगा भारत भूमि को पवित्र करती है। श्रीमद्भागवत की कथा भक्तों के हृदय को पवित्र करती है। भगवान कृष्ण और राधा की दिव्य शाश्वत प्रेम कथा दुनिया भर में निस्वार्थ प्रेम और भक्ति का प्रतीक है। शाश्वत प्रेम का पाठ पढ़ाने के बाद भगवान कृष्ण ने घृणा से होने वाले विनाश को दिखाया और लोगों को जागरूक करने का संदेश दिया। भगवद्गीता ने मानवता के लिए जीवन जीने का मार्ग प्रदान किया।       

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अध्यक्षता करते हुए प्रो. लोकमान्य मिश्र ने कहा कि भगवान् श्रीकृष्ण प्रादुर्भाव का उत्सव सभी के लिए सौभाग्य का सूचक है। जिस परिस्थिति में श्रीकृष्ण ने गीतोपदेश का अनुगृह किया वह अद्भुत तथा विस्मयकारी है। वर्तमान समय में जहाँ अशान्ति तथा अत्याचार की विद्यमानता है, श्रीकृष्ण का कर्म सिद्धान्त अत्यन्त प्रासङ्गिक है। आचार्य सर्वनारायण झा जी ने इस प्रसंग का सांगोपांग चित्र उपस्थित किया है। परिसर के इतिहास में एक प्रकार का आयोजन अत्यन्त सराहनीय है। श्रीकृष्ण के उपदेशों का अनुपालन आज अपरिहार्य प्रतीत होता है। हमें इसके लिए अग्रगामी होना चाहिए। परमेश्वर का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो, यही कामना है। कार्यक्रम में स्वागत प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी, संचालन प्रो. पवन कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. गजाला अंसारी ने किया।

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