प्रयागराज: 4 हजार करोड़ रुपए के जीएसटी घोटाले के आरोपियों की याचिकाएं खारिज

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर जीएसटी फर्मों का पंजीकरण कराकर 4 हजार करोड़ से अधिक का घोटाला करने वाले दर्जनों आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि जमानत देते समय न्यायालय को अपराध की प्रकृति, साक्ष्य की विश्वसनीयता, दंड की संभावना, अभियुक्त का आचरण, गवाहों को प्रभावित कर सकने की संभावना, आम जनता और राज्य का व्यापक हित जैसी तमाम बातों पर विचार करना होता है। 

कोर्ट ने मौजूदा मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए पाया कि आरोपी फर्जी जीएसटी फर्म का पंजीकरण कराकर इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करते थे और सरकार को हजारों करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचा चुके हैं। अब तक की जांच में आरोपियों ने 4 हजार करोड़ के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट किए हैं जबकि 2,645 करोड़ रुपए से अधिक का सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचाया जा चुका है। मामले की जांच अभी भी चल रही है। आरोपियों के बयान के आधार पर अन्य आरोपियों की पहचान भी की जा रही है। जांच में कई अभियुक्तों के पास से बड़ी संख्या में कंपनियों के डाटा, फर्जी सिम कार्ड, मोबाइल फोन, फर्जी दस्तावेज और कैश बरामद हुए हैं। 

जमानत याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि फर्जी जीएसटी नंबर उत्तर प्रदेश के बाहर के राज्यों से प्राप्त किए गए हैं। इसके अलावा शिकायतकर्ता स्वयं दिल्ली का रहने वाला है और प्राथमिकी गौतमबुद्ध नगर में दर्ज कराई गई है। मालूम हो कि वरिष्ठ पत्रकार सौरभ द्विवेदी ने नोएडा के सेक्टर- 20 थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि मेरी फर्जी आईडी इस्तेमाल कर बिना मेरी अनुमति के पंजाब और महाराष्ट्र में जीएसटी फर्मों का पंजीकरण कराया गया है। शिकायतकर्ता द्वारा मामले की जांच कर ऐसे दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग की गई थी। इसके बाद जांच के लिए पुलिस ने एसआईटी गठित की और जांच शुरू हुई। इसके बाद परत दर परत राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे फ्रॉड का खुलासा हुआ। जांच में मिले तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर पता चला कि पूरे फर्जीवाड़े में दर्जनों अभियुक्त शामिल हैं जो लोगों की फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराते हैं और उस पर फर्जी ढंग से टैक्स इनपुट क्रेडिट लेकर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं। अंत में कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि भले ही फर्जी कंपनियां दूसरे राज्यों में बनाई गई हैं, लेकिन जीएसटी सिर्फ राज्य के भीतर ही नहीं बल्कि अंतर्राज्यीय आपूर्ति पर भी निगरानी रखता है। अतः कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए सभी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की एकलपीठ ने गौतमबुद्ध नगर के राजीव जिंदल सहित 55 अन्य की जमानत अर्जियों को खारिज करते हुए पारित किया।

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