प्रयागराज: न्यायालय की मर्यादा का उल्लंघन करने पर अधिवक्ता पर लगाया जुर्माना

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को चुनावी प्रक्रिया में वीडियोग्राफी की प्रामाणिकता, अखंडता, सुरक्षा और सत्यापन के संबंध में याचिका दाखिल करके कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करने के मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने महमूद प्राचा की याचिका को निराधार मानकर खारिज करते हुए पारित किया।

कोर्ट ने देखा कि प्राचा ने समान विषय पर दो याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में पहले ही दायर की थीं, जिनमें उनकी संतुष्टि के अनुसार आदेश पारित किए गए थे। इसके बावजूद उन्होंने इसी तरह की राहत की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने कहा कि यह समझ से परे है कि जब प्राचा ने एक ही विषय (वर्ष 2024 के लिए उत्तर प्रदेश में 7-रामपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव) के संबंध में पहले ही दो याचिकाएं दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल कर दीं हैं तो फिर उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख क्यों किया। कोर्ट ने आगे अधिवक्ता द्वारा कोट और बैंड पहनकर व्यक्तिगत रूप से मामले पर बहस करने के उनके आचरण के संबंध में कहा कि यह व्यवहार बार के वरिष्ठ सदस्य के लिए अनुचित था, उन्हें व्यक्तिगत रूप से पीठ को संबोधित करते समय आवश्यक बुनियादी शिष्टाचार के बारे में पता होना चाहिए। 

कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि याचिका गलत तरीके से दाखिल की गई थी और इसके परिणामस्वरूप इस न्यायालय का बहुमूल्य समय नष्ट हुआ, साथ ही व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के दौरान उनके द्वारा अपनाई गई 'अनुचित कार्यप्रणाली' के कारण कोर्ट ने उनकी याचिका को 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया, जिसे 30 दिनों के भीतर उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के समक्ष जमा किए जाने का निर्देश दिया गया है। लागत का भुगतान नहीं किए जाने की स्थिति में रजिस्ट्रार जनरल कानून के अनुसार राशि वसूलने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

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