Super कंप्यूटर के बाद अब भारत को मिलेगा Quantum Computer, वैज्ञानिक विजय भटकर ने कहा- पूरी दुनिया को मिलेगा फायदा

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Published By Virendra Pandey
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अमेरिका ने सुपर कंप्यूटर देने से मना किया तो राजीव गांधी के इस फैसले ने बदल दी देश की तस्वीर

भारत के वैज्ञानिकों ने रचा इतिहास

लखनऊ, अमृत विचार। साल 1991 में भारत को पहला सुपर कंप्यूटर परम देने वाले महान वैज्ञानिक विजय पाण्डुरंग भटकर इस समय क्वांटम कंप्यूटर के निर्माण के कार्य को पूरा कराने में लगे हुये हैं। उन्होंने तीन साल में क्वांटम कंप्यूटर का निर्माण पूरा होने की बात कही है।

दरअसल, कल यानी सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में 67वें दीक्षांत समारोह का आयोजन होना है। दीक्षांत समारोह में भारतीय सुपर कंप्यूटर के जनक विजय पाण्डुरंग भटकर को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया गया गया है। दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर वैज्ञानिक विजय पाण्डुरंग भटकर लखनऊ पहुंचे और उन्होंने राजभवन में पत्रकारों से बात की। उन्होंने भारत में सुपर कंप्यूटर में निर्माण की वजह बताते हुये कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है, यही वजह है कि कृषि भारत की अर्थव्यवस्था का आधार भी है,लेकिन करीब 35 साल पहले तक किसानें को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था, इसके पीछे की वजह मौसम की सटीक जानकारी न होना था, कब बरसात होगी, कब नहीं होगी, यह जानकारी किसानों को नहीं हो पाती थी।

यह समस्या केवल भारतीय किसानों के साथ नहीं थी, बल्कि अमेरिका को छोड़कर पूरी दुनिया के किसान पारंपरिक तकनीक के आधार पर मौसम और वर्षा की जानकारी किया करते थे, केवल अमेरिका अपने सुपर कंप्यूटर की बदौलत मौसम की सटीक जानकारी करता था।

उस समय देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी, सुपर कंप्यूटर की तकनीक लेने अमेरिका गए। जहां शीर्ष नेताओं, वैज्ञानिकों और सेना के अधिकारियों के साथ बैठक हुई, लेकिन अमेरिका ने भारत को झटका दे दिया और कहा कि हम पुरानी तकनीक देंगे, साथ ही भारत में हमारी टीम भी इसकी निगरानी करेगी। अमेरिका इस बात से डर रहा था कि सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल भारत सेना को ताकतवर बनाने में कर सकता है, यही वजह थी कि अमेरिका ने अपने मित्र राष्ट्रों को भी यह तकनीक नहीं दी थी। यह बात सुन राजीव गांधी अमेरिका से वापस लौटे आये और उन्होंने वैज्ञानिक विजय पाण्डुरंग भटकर से बात की, इतना ही नहीं उन्होंने सुपर कंप्यूटर बनाने की जिम्मेदारी भी विजय भटकर को सौंप दी। 

इमेज देखा और एक सुपर कंप्यूटर की कीमत में बना दिया पूरा सेंटर 

विजय पाण्डुरंग भटकर ने बताया कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बैठक में उनसे पूछा था कि क्या हम सुपर कंप्यूटर नहीं बना सकते। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हमने सुपर कंप्यूटर का सिर्फ स्वरुप (चित्र) देखा है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कल्पनाशीलता और आत्मबल के बल पर यह काम किया जा सकता है, इस पर राजीव गांधी ने कहा जितना भी समय लगे बिना परवाह के सुपर कंप्यूटर बनाये। विजय पाण्डुरंग ने बताया कि 3 साल की समय सीमा तय हुई और टीम ने निर्धारित सीमा में सुपर कंप्यूटर बनाकर तैयार कर दिया। इतना ही नहीं अमेरिका में इस कंप्यूटर की कीमत 37 करोड़ थी। जिसे हमारी टीम ने 1991 में इतनी ही कीमत में सुपर कंप्यूटर के साथ एक नया सेंटर भी स्थापित कर दिया। आज सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल हर क्षेत्र में किया जा रहा है। सुपर कंप्यूटर को बनाने में करीब100 लोगों की टीम ने काम किया था। उन्होंने बताया कि क्वांटम कंप्यूटर बनाने का काम चल रहा है। करीब 3 साल में यह बनकर तैयार होगा। इसकी स्पीड कई हजार गुना अधिक होगी। यह तकनीकी के क्षेत्र में एक क्रांति लाएगा। इतना ही नहीं इससे पूरी दुनिया को उसी तरह फायद मिलेगा, जिस तरह भारत ने सुपर कंप्यूटर का निर्माणकर उसकी तकनीक दुनिया को दी। जिससे कई देशों को फायदा मिला।

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