संभल कल्कि महोत्सव : शब्दों के टंकार बिठा लहजे में खुद्दारी रख, जीने की ख्वाइश है तो मरने की तैयारी रख...

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने कविताओं की दी प्रस्तुति, कवियों की कविताओं पर श्रोताओं ने जमकर बजाई तालियां

संभल कल्कि महोत्सव : शब्दों के टंकार बिठा लहजे में खुद्दारी रख, जीने की ख्वाइश है तो मरने की तैयारी रख...

बहजोई में आयोजित संभल कल्कि महोत्सव की सांस्कृतिक संध्या में कविता पाठ करतीं कवयित्री।

बहजोई, अमृत विचार। संभल कल्कि महोत्सव के रात्रि सत्र में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें बाहर से पहुंचे कवियों ने एक से एक बढ़कर कविताओं की प्रस्तुति दी। कवियों ने कविताओं की प्रस्तुति पर श्रोता तालियां बजाने पर मजबूर हो गए। कवियों ने ऐसा समां बांधा कि चारों ओर तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही।

बड़ा मैदान पर चल रहे संभल कल्कि महोत्सव में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ मुख्य अतिथि भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष ओमवीर सिंह खड़गवंशी व डीएम डॉ.राजेंद्र पैंसिया मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद कवि सौरभकांत शर्मा ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। नैनीताल से आईं कवयित्री गौरी मिश्रा ने कहा कि भक्ति भाव से अपना तन मन करता जो पारायण है, एक दिवस वह स्वयं आत्मिक पा जाता नारायण है।

कानपुर से आए हास्य कवि हेमंत पांडे ने कहा कि एक-एक प्रेमिका को बांट कर ले गए, जो नहीं माना उसे डांट कर ले गए, जिस पेड़ से बंधा था मुहब्बत का धागा, नगर निगम वाले उसे भी काट कर ले गए। स्थानीय कवि सौरभ कांत शर्मा ने कहा कि जिसको पा हिंदी इतराती वह बेटा देवकीनंदन है, त्यागी रामौतार हमी हम जीत की पुरण मासी हैं। कवि शिव ओम अंबर ने कहा कि शब्दों के टंकार बिठा लहजे में खुद्दारी रख, जीने की ख्वाहिश है तो मरने की तैयारी रख।

कवि रमेश विश्वहार ने कहा कि भावनाओं में है कामनाओं में है तेरा चेहरा मेरी कल्पनाओं में है। हास्य कवि अमन अक्षर ने कहा की तन किशोरी को किशोर से बचाइए तो मन को हमारे जैसे चोर से बचाइए। कवि चराग शर्मा ने कहा कि मैं चाहता हूं मेरा दिल दिया दिखाई दे जो जल रहा है वह जलता हुआ दिखाई दे। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में कवियों ने एक से एक बढ़कर कविता की प्रस्तुति दी। कविता को सुनकर श्रोताओं ने जमकर तालियां बजाई। इस दौरान सीडीओ गोरखनाथ भट्ट, एडीएम प्रदीप वर्मा, चेयरमैन राजेश शंकर राजू, सोम प्रकाश वार्ष्णेय, दिवाकर गुप्ता समेत तमाम श्रोता मौजूद रहे। संचालन कवि डॉ.सौरभ कांत शर्मा ने किया।

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