SCO Summit In Pakistan: 9 साल बाद किसी भारतीय विदेश मंत्री का पहला पाकिस्तान दौरा, एससीओ समिट में होंगे शामिल...जानिए क्या बोले जयशंकर?
इस्लामाबाद। भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर के पाकिस्तान पहुंचने से कुछ घंटे पहले मंगलवार को कहा कि वह इस प्रभावशाली क्षेत्रीय समूह के विभिन्न तंत्रों से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव के बीच करीब एक दशक में किसी भारतीय विदेश मंत्री की पड़ोसी देश की यह पहली यात्रा है। पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ शासनाध्यक्षों की परिषद (सीएचजी) की दो दिवसीय बैठक की मेजबानी कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘एससीओ सीएचजी बैठक हर वर्ष आयोजित की जाती है और इसमें संगठन के व्यापार एवं आर्थिक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।’’ उसने नयी दिल्ली में एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘विदेश मंत्री एस. जयशंकर बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। भारत एससीओ रूपरेखा के भीतर विभिन्न तंत्रों और पहल समेत एससीओ प्रारूप में सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।’’ जयशंकर की यात्रा की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इस्लामाबाद पहुंचने के तुरंत बाद उनके एससीओ सदस्य देशों के प्रतिनिधियों का स्वागत करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा आयोजित एक भोज समारोह में शामिल होने की संभावना है। भारत और पाकिस्तान दोनों ने एससीओ शासनाध्यक्षों की बैठक के इतर जयशंकर और पाकिस्तान के उनके समकक्ष इशाक डार के बीच किसी भी द्विपक्षीय वार्ता की संभावना से इनकार कर दिया है।
हालांकि, वे सामान्य शिष्टाचार का पालन करेंगे। यह करीब नौ वर्ष में पहली बार होगा कि भारत का कोई विदेश मंत्री कश्मीर मुद्दे और सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों पड़ोसी देशों के बीच रिश्ते तल्ख होने बावजूद पाकिस्तान की यात्रा कर रहा है। आखिरी बार पाकिस्तान की यात्रा करने वाली भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज थीं। वह अफगानिस्तान पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिसंबर 2015 में इस्लामाबाद आयी थीं। जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे नयी दिल्ली की ओर से एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। जयशंकर ने एक कार्यक्रम में हाल में कहा था, किसी भी अन्य पड़ोसी देश की तरह भारत निश्चित तौर पर पाकिस्तान से अच्छे संबंध रखना चाहेगा। लेकिन सीमा पार आतंकवाद को नजरअंदाज करते हुए ऐसा नहीं हो सकता।
वरिष्ठ मंत्री को पाकिस्तान भेजने के फैसले को एससीओ के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है। भारत के युद्धक विमानों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में फरवरी 2019 में पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हमले किए थे जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था। यह तनाव तब और बढ़ गया जब भारत ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा वापस लेने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की।
नई दिल्ली के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंधों का स्तर कम कर दिया था। भारत लगातार यह कहता रहा है कि वह पाकिस्तान के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध चाहता है लेकिन इसके लिए आतंकवाद और द्वेष मुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी इस्लामाबाद की है। मई 2023 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में एससीओ देशों की विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए थे। यह करीब 12 वर्ष में पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की भारत की पहली यात्रा थी।
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