डॉक्टर सरकारी, इलाज निजी अस्पताल में.... केजीएमयू डॉक्टर निष्कासित

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Published By Muskan Dixit
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खदरा के केडी अस्पताल में महिला की गले के ऑपरेशन के बाद मौत

लखनऊ, अमृत विचार: खदरा के केडी अस्पताल में ले जाकर महिला मरीज का ऑपरेशन करने वाले केजीएमयू के डॉक्टर को संस्थान से निष्कासित कर दिया गया है। शनिवार को आरोपी डॉक्टर के निष्कासन से सम्बंधित आदेश जारी कर दिया गया है। इसके पहले शिकायत के आधार पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर आरोपी डॉक्टर को निलंबित कर उसके विरुद्ध जांच के लिए समिति का गठन किया गया है। समिति मामले की जांच कर रही है।

यह था मामला

लखीमपुर खीरी के महराजनगर निवासी पूनम मौर्य (32) आशा कार्यकर्ता थी। पति सुरेन्द्र पाल सिंह के मुताबिक पूनम की आवाज में भारीपन आ गया था। उसे सितंबर माह में केजीएमयू के ईएनटी विभाग में रेजिडेंट डॉ. रमेश कुमार को दिखाया। जांच के बाद डॉ. रमेश ने गले में मस्सा होने की बात कहते हुए ऑपरेशन कराने की सलाह दी थी। डॉ. रमेश ने खदरा स्थित केडी अस्पताल में ऑपरेशन करने की बात कही। डॉ. रमेश की सलाह पर मरीज को 25 अक्टूबर को केडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शाम करीब 5 बजे डॉक्टर पूनम को ऑपरेशन के लिए ओटी में ले गए थे। ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत बिगड़ गई थी। आनन-फानन मरीज को केजीएमयू ले गए। जहां मरीज को शताब्दी के वेंटिलेटर यूनिट में भर्ती किया गया था। जहां 9 नवंबर को उसकी मौत हो गई।

जांच में रेजिडेंट डॉक्टर दोषी

महिला मरीज की मौत ने केजीएमयू के डॉक्टर और प्राइवेट प्रैक्टिस के गठजोड़ उजागर हुआ था। इससे केजीएमयू की काफी किरकिरी हुई थी। इसके बाद कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने सीएमएस डॉ. बीके ओझा की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की थी। इसमें चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुरेश कुमार, प्रॉक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव, ईएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुपम मिश्र व कुलसचिव के सदस्य कमेटी में थे। जांच के बाद निलंबित रेजिडेंट डॉ. रमेश कुमार को दोषी मानते हुए केजीएमयू से निष्कासित कर दिया है। हालांकि, अभी भी मामले की जांच चल रही है। 18 नवंबर तक उपमुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

अस्पताल संचालक के विरुद्ध नहीं हो सकी कार्रवाई

केडी अस्पताल के संचालक की मिलीभगत से केजीएमयू के डॉक्टर ने महिला का यहां लेकर ऑपरेशन किया था। मामले की शिकायत भी महिला के पति ने सीएमओ कार्यालय और मदेयगंज पुलिस से किया था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। संचालक अस्पताल बंद कर फरार हो गया। किरकिरी के बाद सीएमओ की ओर से अस्पताल के संचालन पर रोक लगाई गई।

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