लखीमपुर खीरी : आबादी के निकट गन्ने में टहल रहा बाघ, किसानों में खौफ

मजदूर गन्ना छीलने से कर रहे इनकार

लखीमपुर खीरी : आबादी के निकट गन्ने में टहल रहा बाघ, किसानों में खौफ

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। मोहम्मदी वनरेंज की बीट बिलहरी के ग्राम शेरपुर में आबादी के करीब बाघ की चहल कदमी से ग्रामीणों में दहशत है। बाघ की दहशत से मजदूर गन्ने की छिलाई करने से इनकार कर रहे हैं, जिससे किसानों के सामने गन्ना छिलाई का भी संकट खड़ा हो गया है।

ग्रामीण लगातार गांव के नजदीक बाघ होने, पगचिंह देखे जाने की शिकायत वनरेंज मोहम्मदी से करते आ रहे हैं। किंतु वनविभाग पिछली घटनाओं को भुलाकर नई अनहोनी की बाट जोह रहा है, जिससे ग्रामीणों, किसानों में रोश है। उनका कहना है कि बाघ के भय से खेतों में काम करना, गन्ना छीलने के लिये मजदूर तैयार नहीं हो रहे हैं। इस खौफ के कारण मजदूर वर्ग के सैकड़ों युवक जिले से बाहर दिल्ली, गाजियाबाद, हरिद्वार, पंजाब आदि जगहों पर काम करने चले गए हैं। खेतों में गन्ना छील रहे मजदूरों ने गन्ने के खेत मे किसी खूंखार वन्यजीव के पंजे देखे, जिससे दहशत फैल गई और मजदूरों ने गन्ना छीलने से मना कर दिया।

एक हफ्ते पूर्व ग्रामीणों ने किसी खूंखार वन्यजीव का पंजा खून में सना व खून के छीटें देखे थे। ग्रामीणों ने चक मार्ग पर बाघ टहलता भी देखा था। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग केवल बैनर, पोस्टर लगाकर अपनी ज़िम्मेदारियों से बचना चाहता हैं। बाघ को पकड़ने की कवायद पिछले चार महीने से चल रही थी, जो महज एक दिखावा है। जिसमें वन विभाग ने कई तरह के प्रयोग, ट्रेंकुलाइज टीम के साथ दुधवा नेशनल पार्क से प्रशिक्षित हथिनियों डायना और सुलोचना को भी मंगाया जाना, थर्मल ड्रोन मंगा कर खनापूर्ति कर सरकार के लाखों रुपए खर्च किए जाने के बाद भी बाघ को नहीं पकड़ा गया। रेंजर मोहम्मदी नरेश पाल सिंह ने बताया कि बाघ पकड़ने का आदेश केवल 15 दिन तक ही प्रभावी रहता है। अभी बाघ पकड़ने का कोई नया आदेश नहीं मिला है। 27 अगस्त को इमलिया में बाघ के हमले में किसान अमरीश की मौत के बाद बाघ पकड़ने की परमिशन मिली थी।

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