...राज्य की पुरानी इमारतें भी इतराएंगी, इठलाएंगी, जानिए कैसे
पर्यटन विभाग का हेरिटेज कॉन्क्लेव संपन्न
लखनऊ, अमृत विचार। अब प्रदेश की पुरानी इमारतें भी इतराएंगी और इठलाएंगी। शनिवार को गोमतीनगर स्थित एक होटल में पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित ’हेरिटेज कॉन्क्लेव’ में इस पर रणनीति बनी। कार्यक्रम में रियासतों से जुड़े लोगों के साथ ही निवेशक भी शामिल हुए।
शहर से बाहर होने के कारण कार्यक्रम में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का संदेश सुनाया गया। पर्यटन मंत्री ने कहा कि यह राज्य ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। विभिन्न जिलों में किले, कोठी और पैलेस हैं, जो स्वयं में अनगिनत कहानियां समेटे हैं। इन्हीं धरोहरों को सहेजना ही नहीं बल्कि उपयोगी बनाना लक्ष्य है। मुख्यमंत्री के विजन के अनुरूप हेरिटेज टूरिज्म को शिखर तक ले जाना है। उन्होंने कहा कि राजघरानों की धरोहरों को पीपीपी मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा।
इस मौके पर प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि प्रदेश के हर हिस्से का अपना महत्व है। गौतम बुद्ध के छह महत्वपूर्ण स्थल राज्य में हैं। सबसे पुराने किलों में से एक चुनारगढ़ का किला यहीं है। उन्होंने कहा कि जिलों में हेरिटेज स्थलों के आस-पास सड़क मार्ग, वायु मार्ग, संपर्क मार्ग सहित अन्य सुविधाएं या कनेक्टिविटी देने के लिए राज्य सरकार संकल्पबद्ध है।
मिलेगा रोजगार
पर्यटन विभाग की विशेष सचिव ईशा प्रिया ने कहा कि प्रदेश के हेरिटेज प्लेसेज, किले, हवेलियां, हॉन्टेड प्लेसेज, कोठी आदि धरोहरों को विकसित करने के लिए यूपी टूरिज्म की नीतियां है। प्रॉपर्टी, बिजली बिल सहित अन्य पर भी रियायतें दिये जाने का प्रावधान है। हेरिटेज होटल, यात्री निवास, कल्चरल-वेलनेस सेंटर, विवाह भवन आदि के रूप में धरोहरों का इस्तेमाल किया जाएगा। ओडीओपी के जरिए स्थानीय समुदायों को भी रोजगार मिलेगा।
धरोहरों को किया जाएगा विकसित
पर्यटन विभाग के निदेशक प्रखर मिश्रा ने बताया कि हेरिटेज टूरिज्म के विकास के लिए राज्य की धरोहर को विकसित करना है। बुन्देलखंड में हेरिटेज टहरौली फोर्ट और रघुनाथ राव महल झांसी को विकसित किया जाएगा। ललितपुर स्थित तालबेहट का किला, महोबा में मस्तानी महल, सेनापति महल, कोठी तालाब, कालिंजर का किला, भूरागढ़ किला बांदा आदि को विकसित करने की योजना है। इसी तरह, मथुरा के सीताराम महल, लखनऊ की गुलिस्तां-ए-इरम एंड दर्शन विला हैं।
फिल्मों के जरिये उप्र. के हेरिटेज को दुनिया के सामने लाया जा सकता है। जैसे फिल्म उमराव जान की अधिकांश शूटिंग लखनऊ के अलग-अलग हिस्सों में ही हुई थी। इस फिल्म के जरिये लखनवी तहजीब को भी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया था।
- मुज़फ्फर अली, फिल्म निर्देशक
बस्ती जिले में विश्व विजय भारती की ओर से 1938 में निर्मित पिरालिया महंत भानपुर के संरक्षक अंकुर भारती का कहना है कि राज्य सरकार अच्छा प्रयास है, जिन कोठियों को अपना पैसा लगाकर संरक्षित किया जाता है, अगर सरकार से सहयोग मिलेगा तो कोठियां भी सुंदर और टिकाऊ रहेंगी। इससे जनमानस को भी फायदा होगा।
250 साल पहले अंबेडकर नगर में हॅसवर पैलेस का निर्माण करने वाले हरदत्त सिंह की वर्तमान पीढ़ी व बसखारी ब्लॉक प्रमुख नरेन्द्र मोहन सिंह उर्फ संजय सिंह का कहना है कि इस योजना से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, निवेशकों के जरिये पुरानी इमारतों के व्यवसाय को ध्यान में रखकर सुसज्जित किया जाएगा, इससे विदेशी पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा, क्योंकि विदेशी पर्यटकों को हरिटेज बिल्डिंग में ठहरने का अनुभव अच्छा लगता है।
अयोध्या के आगे 1911 में राजा चंद्र बहादुर पाल के जरिये निर्मित बुदवल स्टेट के संरक्षक नाती शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि बुदवल स्टेट को माय मॉम्स विलेज के नाम से विकसित किया गया है। यह पूरी तरह से महिलाओं के लिए समर्पित है, यहां काम करने वाली महिलाएं हैं, सरकार के इस प्रयास का अच्छे से अनुपालन होना चाहिए, निवेशक से भी चाहते हैं कि इसे महिलाओं के लिए विशेष बनाए ताकि पुरूष प्रधान देश में महिलाओं का सम्मान बढ़े।
राजधानी से मात्र 30 किमी दूर, सीतापुर रोड स्थित इंटौजा में 1880 में राजा इंद्र विक्रम सिंह के जरिये निर्मित इंद्र भवन के सरंक्षक वर्तमान पीढ़ी के राघवेन्द्र सिंह का कहना है कि सरकार के इस प्रयास से उन्हें लाभ मिलेगा, जो खुद से इमारतों को संरक्षित करने में असमर्थ थे, इससे विरासत बचने के साथ ही टूरिज्म बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद भी इंद्र भवन को बतौर होटल संचालित करने का प्रयास किया मगर यात्रियों के न आने से प्रयोग असफल रहा, मगर सरकार के साथ आने पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, योजना सफल होगी।