आंवला वासियों के लिए खुशखबरी, नए साल में मिलेगी 50 बेड के एमसीएच विंग की सौगात
प्रसूताओं और नवजात शिशुओं के इलाज में लोगों को मिलेगी बड़ी सहूलियत
बरेली, अमृत विचार: आंवला में 50 बेड का मदर एंड चाइल्ड (एमसीएच) विंग शुरू करने की कवायद शुरू हो गई है। भवन दो साल पहले ही बन चुका है, अब शासन ने इसे चलाने के लिए अलग-अलग श्रेणी के 30 पद भी स्वीकृत कर दिए हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों समेत 12 अन्य पदों पर सेवा प्रदाता एजेंसी के माध्यम से भर्ती की जाएगी।
स्वीकृत पदों के मुताबिक एमसीएच विंग में दो स्त्रीरोग विशेषज्ञ, दो बाल रोग विशेषज्ञ, एक एनेस्थेटिस्ट, एक पैथोलॉजिस्ट, दो ईएमओ, एक एलएमओ समेत नौ चिकित्सकों की तैनाती होगी। पैरामेडिकल और दूसरे संवर्गों में 21 पदों पर नियुक्ति होंगी जिनमें दो नर्सिंग/वार्ड मास्टर, 10 स्टाफ नर्स, तीन स्टाफ नर्स नियोलेटोलॉजी टेड, दो फार्मासिस्ट, दो लैब टेक्नीशियन, एक ओटी टेक्नीशियन और एक कनिष्ठ सहायक/कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल है। इसके साथ तीन सिक्योरिटी गार्ड, छह वार्ड ब्वाय/वार्ड आया और तीन स्वीपर भी तैनात होंगे।
शासन के विशेष सचिव शिवसहाय अवस्थी की ओर से एमसीएच विंग के लिए स्वीकृत पदों के संबंध में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि सभी स्वीकृत पद अस्थाई हैं और 28 फरवरी 2025 तक की अवधि के लिए इस शासनादेश के जारी होने की तिथि या इन पर नियुक्ति की तिथि जो भी बाद में हो, इस प्रतिबंध एवं शर्तों के अधीन स्वीकृत किए गए हैं। सभी पद चिकित्सा विभाग के संबंधित संवर्ग में अस्थाई वृद्धि के रूप में माने जाएंगे। पदधारकों को अनुमन्य वेतन और अन्य भत्ते देय होंगे। विशेष सचिव ने अस्थाई पदों की निरंतरता/स्थाईकरण का प्रस्ताव शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
महीनों पहले हैंडओवर हो चुकी है 735.12 लाख की लागत से बनी बिल्डिंग
आंवला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में वर्ष 2017 में 50 बेड के एमसीएच विंग का निर्माण शुरू हुआ था। आवास एवं विकास परिषद की मुरादाबाद निर्माण इकाई ने इस बिल्डिंग का निर्माण करीब 735.12 लाख की लागत से किया है।
कार्यदायी संस्था ने कई महीने पहले बिल्डिंग का निर्माण पूरा कर उसे स्वास्थ्य विभाग को सुपुर्द कर दिया है लेकिन अब तक इस अस्पताल को शुरू नहीं किया गया है। आंवला क्षेत्र में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं न होने के कारण बच्चों और महिलाओं को बरेली या बदायूं ले जाना पड़ता है।
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