बरेली : मोबाइल की लत...बच्चों को दे रही सर्वाइकल का दर्द
जिला अस्पताल के फिजियोथेरेपी विभाग में पहुंच रहे मरीज, हर माह चार से पांच बच्चे मिल रहे दर्द से परेशान
अंकित चौहान, बरेली, अमृत विचार। एक ओर मोबाइल, लैपटॉप समेत तमाम आधुनिक उपकरणों ने लोगों की जिंदगी को काफी आसान कर दिया है तो दूसरी तरफ कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ा दिया है। सर्वाइकल इनमें से एक है। लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठने से सर्वाइकल के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इसमें बच्चे भी शामिल हैं, जो घंटों मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं। जिला अस्पताल के फिजियोथेरेपी विभाग में हर महीने चार से पांच बच्चे सर्वाइकल के दर्द की शिकायत लेकर पहुंच हरे हैं। इनके परिजन रोजाना विभाग में थेरेपी कराने आ रहे हैं।
पहले बुजुर्ग और अब बच्चे भी चपेट में
जिला अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग के प्रभारी डाॅ. रोहित ने बताया कि सर्वाइकल का दर्द किसी भी मौसम में हो सकता है। पहले बुजुर्ग मरीजों की संख्या अधिक रहती थी, लेकिन अब इनमें बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी उम्र 10 से 14 वर्ष के बीच है। काउंसलिंग में पता चला कि बच्चे एक ही स्थान पर घंटों मोबाइल या टीवी देखते थे। बच्चों को खेलकूद, डांस समेत अन्य मनोरंजन संबंधी गतिविधियों में शामिल कराएं, ताकि वे स्वस्थ रहें।
खुशलोक अस्पताल के फिजियोथैरेपी विभाग के एचओडी डॉ. शशांक शुक्ला के मुताबिक सर्वाइकल पेन कोई बीमारी नहीं है, लेकिन ये दर्द काफी गंभीर समस्या है। एक ही पोजीशन में बैठकर या गर्दन झुकाकर घंटों मोबाइल या टीवी देखने से सर्वाइकल के दर्द की समस्या हो सकती है। बच्चों के इस दर्द के होने का मुख्य कारण मोबाइल और टीवी देखने की लत है। घंटों तक एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं, जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है। इससे लिगामेंट स्प्रेन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में मसल्स हार्ड होने लगती हैं और डिस्क में परेशानी भी हो सकती है।
बच्चों को शांत करने के लिए थमा देते हैं मोबाइल
चिकित्सकों के अनुसार घर में कोई बच्चा किसी चीज को लेकर जिद करता है या रोता है तो परिजन उसे शांत करने के लिए मोबाइल थमा देते हैं। काफी देर तक बच्चा मोबाइल देखता है और एक ही जगह पर बैठा रहता है। अभिभावक ऐसा न करें बल्कि उनके साथ खेलें और उन्हें समय दें।
ये हैं लक्षण
चिकित्सकों के मुताबिक बच्चा हमेशा थका महसूस करता हो, सिर या पीठ में दर्द से परेशान रहता हो, चिड़चिड़ा और एग्रेसिव बिहेवियर हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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