लखनऊ में खुलेआम धूम रहा था बाघ, किया नीलगाय का शिकार

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Published By Muskan Dixit
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वन विभाग की टीम कांबिंग में जुटी

लखनऊ, अमृत विचार: रहमान खेड़ा में बाघ (टाइगर) की चहलकदमी से सिर्फ आस-पास के क्षेत्रों में ही नहीं लखनऊ तक इसकी दहशत पहुंच गई है। रहमान खेड़ा गांव में बाघ ने एक नीलगाय का शिकार भी किया। गुरुवार सुबह केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के खेतों में नीलगाय का क्षत-विक्षत शव मिला है। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बाघ को रेस्क्यू करने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम रहमान खेड़ा में तैनात कर दी गई है। साथ ही कैमरे लगा दिए गए हैं और पिंजरे रखे गये हैं।

रेंजर सोनम दीक्षित ने बताया कि टाइगर ने जिस जगह नीलगाय का शिकार किया है वहां से 100 मीटर की दूरी पर पिंजरा लगा दिया गया है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि काकोरी के रहमान खेड़ा स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निकट ही नीलगाय का क्षत-विक्षत शव पड़ा था। इसकी सूचना ग्रामीणों ने बागवानी संस्थान के निदेशक टी दामोदरन को दी। निदेशक ने इसकी जानकारी पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों को दी। रेंजर टीम के साथ गुरुवार सुबह मौके पर पहुंच गई। दिन भर कॉबिंग भी की गई। बाघ पर नजर रखने के लिए फिलहाल सात जगह पर कैमरे लगाये गए हैं।

पगचिह्न 13 सेंटीमीटर से बड़े

डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि पगचिह्न 13 सेंटीमीटर से अधिक बड़े हैं। यह निशान बाघ के पंजे के हो सकते हैं। आसपास के इलाकों में लगभग दस किलोमीटर तक कांबिंग की जा रही है। गुरुवार को भी नए पगचिह्न मिले हैं। जिसके बाद संस्थान में सात ट्रैप कैमरा और दो पिंजरे लगाए गए है।

उन्होंने बताया कि उल्लापुर, मीठेनगर और जुगौली गांव में ग्रामीणों को अलर्ट किया गया है। शाम को बाहर निकलने से मना किया गया है। खेतों में टोली बनाकर काम करने की हिदायत दी गई है। शुक्रवार को सुबह वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचेगे।

मजदूरों को सुनाई पड़ी दहाड़, काम छोड़ कर भागे

रहमान खेड़ा स्थित केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान के ब्लॉक 2 में बुधवार की शाम खेतों में काम कर रहे मजदूरों को बाघ के दहाड़ने की आवाज सुनाई दी थी। आवाज सुनकर मज़दूर भाग खड़े हुए। संस्थान के निदेशक टी दामोदरन ने मजदूरों को समय से पहले ही छुट्टी दे दी थी।

तीन दिसंबर से जंगली जानवर होने की सूचना

काकोरी में करीब एक सप्ताह पहले से जंगली जानवर के पग चिह्न मिलने की सूचना आ रही है। बीते 3 दिसंबर को रहमान खेड़ा के खेतों में किसी जंगली जानवर के पग चिह्न मिलने के बाद करझन गांव के खेतों में नए पग चिह्न मिले । वन विभाग की टीम को बुधवार को रहमानखेड़ा और काकोरी के करझन गांव के खेतों में पग चिह्न मिले। करझन गांव के पग चिह्न तेंदुआ के बताए जा रहे हैं, जबकि रहमान खेड़ा स्थित केंद्रीय उपोषण बागवानी संस्थान के खेतों में मिले पग चिह्न बाघ के है।

सावधान! कहीं आप बाघ या तेंदुए के करीब तो नहीं

प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ ही इससे सटे इलाकों में जंगली जानवरों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। पहले भी बाघ और तेंदुए राजधानी तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में देर रात शहर या आसपास गांवों में सफर करने वाले लोग सावधानी बरतें। जरा सी चूक भारी पड़ सकती है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार बाघ और तेंदुए पहले भी शहर के अंदर तक पहुंच चुके हैं। औरंगाबाद में आया तेंदुआ कई दिनों तक लोगों को परेशान करता रहा। इससे पहले रहमान खेड़ा में आये बाघ को भी वन विभाग की टीम तकरीबन तीन महीने के कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ सकी।
कब-कब आये जंगली जानवर

- 2009 में फैजाबाद लखनऊ के पास पहुंच गई थी आदमखोर बाघिन। इसे फैजाबाद के कुमार गंज क्षेत्र के पास मारा गया
- 2012 रहमान खेड़ा क्षेत्र में बाघ निकला। इसे 108 दिनों की कड़ी मश्क्कत के बाद वन विभाग की टीम रेस्क्यू कर सकी
- 2014 में लखनऊ और कानपुर के बीच तेंदुए सामने आया। बाद में कानपुर टेकरी के निकट गंगा पट्टी से होते हुए इसे वापस जंगल में भेजा गया
-2019 में ठाकुर गंज स्थित एक मूक बधिर स्कूल में तेंदुआ पहुंच गया। जो वहां लगे कैमरों में ट्रैप हुआ। बाद में वन विभाग और चिड़ियाघर की टीम ने इसे रेस्क्यू किया
- 2018 में आशियाना के निकट औरंगाबाद क्षेत्र में तेंदुआ सामने आयो। इस तेंदुए को रेस्क्यू करने को वन विभाग की टीम ने जाल बिछाया। लेकिन बाद में एक घर के रसोई में जा घुसे इस तेंदुए को पुलिस वालों ने गोली मार दी
- 2018 में लखनऊ से सटे गोसाईगंज क्षेत्र में एक सड़क के नीचे बने पाइप के अंदर तेंदुआ होने की सूचना मिली। इस तेंदुए को वन विभाग ने रेस्क्यू कर निकाला। इसके पैर के कुड़का फंसा हुआ था। इसके चलते इसका आगे का दाया पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था
- 2009 में लखनऊ सीमा से सटे मलिहाबाद क्षेत्र में एक सूखे कुंए में तेंदुआ गिर गया, जिसे चिड़ियाघर की टीम रेस्क्यू किया।

पहले भी जंगली जानवर शहरी सीमा तक आते रहे है। इन्हें समय से रेस्क्यू किया गया। रहमान खेड़ा में सामने आये जंगली जानवर को रेस्क्यू करने की तैयारी कर ली गई है।
सितांशु पाण्डेय, डीएफओ अवध, वन विभाग

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