17 साल की उम्र में Entrepreneur बने केशव, 'Gulliyans of Lucknow’ से कर रहे लोगों की मदद
लखनऊ, अमृत विचारः हर किसी का सपना होता है कि वह ज्यादा पैसा कमाए और अपनी सभी जरूरतों को पूरा करें, लेकिन लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज में पढ़ने वाले केशव मित्तल ने अपना यह सपना 17 साल की उम्र में ही पूरा कर लिया। वे अपने साथ-साथ दूसरे कई जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। उन्हें रोजगार प्रदान कर रहे हैं। केशव ने 'लखनऊ की गुलियां' के नाम से अपना एक स्टार्टअप तैयार किया है। जिसके माध्यम से वह स्थानीय कारीगरों को कानूनी और वित्तीय साक्षरता से सशक्त बनाते हैं।
कक्षा 12 में पढ़ने वाले केशव की लखनऊ की गुलियां, उनकी परियोजना में मौजूद कारीगरों, शिल्पकारों और विक्रेताओं को सुसज्जित करके उनका उत्थान करने का काम करती है। उन्हें अपने व्यवसाय को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए कानूनी और वित्तीय साक्षरता उपकरण प्रदान करती है।

एक दृष्य ने छू लिया दिल
केशव ने बताया कि यह सब तब शुरू हुआ जब उन्हें स्थानीय कारीगरों की दुर्दशा का एहसास हुआ, जो लाख कोशिश और हुनर के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। जब शिल्पकार, कारिगर घटती कला के बीच अपने शिल्प को संरक्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे थे। उनकी आय और बाजार भी सीमित हो गई। उन्होंने बताया कि “मैं एक ऐसे कारीगर से मिला जो उत्कृष्ट मिट्टी के बर्तन बनाता था, लेकिन उसे पता नहीं था कि वह अपने इस हुनर को लोगों तक कैसे पहुंचा। मिट्टी के बर्तनों को मार्केट और सरकारी योजनाओं तक कैसे पहुंचाए। आगे केशव ने कहा कि उनके इस तरह की दिशा को देश कर वे बुरी तरह से झंझोर गए और इस मुलाकात ने उनके मन में एक विचार उत्पन्न किया 'गुलियां' नाम से। लखनऊ, एक सामाजिक पहल है जिसका उद्देश्य पारंपरिक कला रूपों को पुनर्जीवित करना और कारीगरों को आधुनिक के अनुकूल बनने के लिए सशक्त बनाना है।
सफलता की ओर बढ़ते कदम
केशव ने कई महीनों तक अपनी इस योजना को कारगर करने के लिए प्लानिंग की और उसे क्रियान्वित किया। परियोजना को तीन भागों में विभाजित किया गया था।
चरण
1. सर्वेक्षण और अंतर्दृष्टि एकत्र करना: केशव और उनकी टीम ने प्रतिष्ठित क्षेत्रों के 50 से अधिक कारीगरों के साथ बातचीत की जैसे अमीनाबाद, चौक और यहियागंज, उनकी चुनौतियों की पहचान करना।
2. राजस्व बढ़ाने के प्रयास: पांच कारीगर प्रदर्शनियों और लक्षित ऑनलाइन विज्ञापनों के माध्यम से परियोजना ने 110% राजस्व वृद्धि हासिल की, जिससे 125+ कारीगरों के लिए ₹8,00,000 से अधिक का उत्पादन हुआ।
3. साक्षरता और जागरूकता अभियान: केशव ने नाबार्ड और रोटरी जैसे संगठनों के साथ सहयोग किया क्लब वित्तीय साक्षरता पर तीन कार्यशालाओं की मेजबानी करेगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने एक त्रिभाषी कानूनी टूलकिट विकसित किया आईपी कानूनों, कराधान और ऋण आवेदनों को कवर करने वाले प्रतिष्ठित कानूनी विशेषज्ञों की मदद।

प्रभाव और मान्यता
इस पहल से पहले ही 175 कारीगरों को सहायता मिल चुकी है, जिससे उनमें से 25 को ऋण सुरक्षित करने और अन्य को स्थायी खुदरा बिक्री हासिल करने में मदद मिली है। केशव ने कारीगरों की सफलता की कहानियों को सभी तक पहुंचाने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया। जिसने उनकी पहुंच को और बढ़ा दिया। उनके इस प्रोजेक्ट को 10 से अधिक राष्ट्रीय प्रकाशनों में मान्यता प्राप्त हो चुकी है। साथ ही सरकारी अधिकारियों और राज्य के प्रमुख सचिव ने भी उनकी इस पहल की प्रशंसा की।
भविष्य की योजनाओं पर हो रहा काम
केशव का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि वे सशक्त कारीगरों के एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क को बढ़ावा दें और इस परियोजना को अन्य शहरों में विस्तारित करें। वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थाई रूप से बनाते हुए संरक्षित करना चाहते हैं।
जिस उम्र में छात्र अपनी पढ़ाई में डूबे रहते की कैसे भी अच्छे मार्क्स लेकर 12वी पास कर लें, लेकिन उस उम्र में केशव जीवन बदल रहे हैं। अपने साथियों को सोचने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। खुद से पैरे पर खड़े होने की कोई उम्र नहीं होती, बस एक सोच ही काफी है। “यह सिर्फ कारीगरों की मदद करने के बारे में नहीं है। यह एक ऐसी प्रणाली बनाने के बारे में है जो उनके योगदान को महत्व देती है और समाज को आगे बढ़ाती है। केशव की पहल युवाओं द्वारा प्रेरित परिवर्तन, करुणा, नवाचार और सम्मिश्रण की शक्ति का एक प्रमाण है।
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