Manmohan Singh: पूर्व पीएम ने कानपुर में टेक्सटाइल मिलें खुलवाने के किए पुरजोर प्रयास, चमड़ा उद्योग को प्रदूषण मुक्त बनाने का दिया विजन

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Shukla
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महेश शर्मा, कानपुर। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कानपुर की औद्योगिक विरासत को देश-दुनिया में फिर से नया मुकाम दिलाना चाहते थे। वह स्थानीय कांग्रेस नेताओं से अधिकतर विकास के मुद्दे पर ही जानकारी लेते और बातचीत करते थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा ‘शाइनिंग इंडिया’ नारा गढ़कर सत्ता में वापसी के लिए आश्वस्त थी, वहीं डॉ. मनमोहन सिंह ने विकास और लोगों की तकलीफ पर फोकस कर रखा था। यहां तक कि कानपुर और बिल्हौर (परिसीमन से पहले) लोकसभा सीट से 2004 के चुनाव में प्रत्याशी क्रमश: श्रीप्रकाश जायसवाल और मदनमोहन शुक्ला से इन्हीं दोनों मुद्दों पर फीडबैक लेते रहते थे। 

मदनमोहन शुक्ला बताते हैं कि उनकी सभा किदवईनगर में आयोजित की गई थी, यह स्थान उनके निर्वाचन क्षेत्र की सीमा से बाहर था। वह सर्किट हाउस में डॉ. मनमोहन सिंह से मिलने पहुंचे और बताया कि बिल्हौर से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। इसके बाद चाय पर चर्चा के दौरान उन्होंने कानपुर के विकास और संभावित योजनाओं की विस्तार से जानकारी ली। चुनाव के बाद जब कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी तो उन्हें प्रधानमंत्री बनाया गया। इस दौरान उन्होंने कानपुर की 12 बड़ी टेक्सटाइल मिलों के फिर से संचालन की योजना पर शिद्दत से काम किया। 

विशेषज्ञों की टीम को कानपुर में कम से कम एक बड़ी मिल चलाने के मॉडल पर काम शुरू कराने के लिए प्रोत्साहित किया। कानपुर की सूती मिलें बंद हो चुकी थीं, लेकिन चमड़ा उद्योग चमक रहा था। इसे देखते हुए उन्होंने टेनरियों की बाबत जानकारी ली और निर्देशित किया कि पीटीपी (प्राइमरी ट्रीटमेंट प्लांट) सभी टेनरियों में लगवाए जाएं। इसके बाद सेकेंडरी प्लांट में टेनरियों के दूषित उत्प्रवाह के शोधन की व्यवस्था की जा सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कहते हैं कि विकास की योजनाओं पर चर्चा में डॉ. मनमोहन सिंह पूरा समय देते थे। उन्होंने अपने संसदीय काल में जो भी प्लान दिया उसे स्वीकृति प्रदान की। वह कानपुर का वैभव लौटाने की दिशा में काम कर रहे थे। 

पांच बार कानपुर आए थे

डॉ. मनमोहन सिंह कानपुर में पांच बार आए। लेकिन राजनीतिक दांवपेंच से दूर सिर्फ कांग्रेस को मजबूत करने और विकास योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कोशिश पर ही उनका ध्यान केंद्रित रहा। पूर्व विधायक भूधरनारायन मिश्रा बताते हैं कि किसानों का कर्जा माफ किया गया तो उनके गांव सैबसू के कट्टर जनसंघी कहे जाने वाले शिवदीन तिवारी ने अपने बेटों से कह दिया था कि वे सब कांग्रेस को मजबूती प्रदान करें। कर्ज माफी किसानों पर कांग्रेस का बड़ा एहसान है। डॉ. मनमोहन सिंह ने आर्थिक विकास का रास्ता खोल दिया था। यूपीए-1 में उनकी सोच के चलते साल 2005 में शुरू की गई  मनरेगा योजना ने प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 100 दिन के वेतन रोजगार की गारंटी दी, जिससे लाखों लोगों की आजीविका में उल्लेखनीय सुधार हुआ और ग्रामीण बुनियादी ढांचे में वृद्धि आई। 

आरटीआई के रूप में उन्होने नागरिकों को भ्रष्टाचार से लड़ने का कारगर हथियार दिया। विशिष्ट पहचान के लिए आधार कार्ड, प्रत्यक्ष लाभ हस्तातंरण सिस्टम लागू करना, किसान ऋण माफी जनहितकारी कामों के लिए डॉ. मनमोहन सिंह को हमेशा याद किया जाएगा। अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते से भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से छूट मिली। वरिष्ठ पत्रकार सत्यप्रकाश त्रिपाठी कहते हैं कि डॉ.मनमोहन सिंह ने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि मीडिया उनके बारे में क्या कहती है। वह तो बस अपना काम करते रहते थे। उनके नेतृत्व में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में किए उपायों से मजबूत भारत की छवि को विस्तार मिला।

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