Kanpur: सर्दी में अधिक शराब व सिगरेट से गड़बड़ा रहा बीपी, बन रहा ब्रेन अटैक का कारण, न्यूरो सर्जन ने कहा ये...

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Published By Deepak Shukla
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कानपुर, अमृत विचार। आज सर्दी बहुत है, चलो शराब व सिगरेट पी ली जाए। सर्दी से बचाव के लिए अपनाया जाने वाला यह पैंतरा शरीर के लिए नुकसानदायक है। ऐसा करने से ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर का लेवल गड़बड़ा जाता है, जिस वजह से ब्रेन को काम करने में दिक्कत आती है और ब्रेन अटैक के खतरे बढ़ जाते हैं। इस संबंध में जीएसवीएमएस पीजीआई में एक स्टडी की गई है, जिसमे यह तथ्य सामने आए हैं। 

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस विभाग में भर्ती होने वाले ब्रेन अटैक के 250 मरीजों पर डॉक्टरों ने एक स्टडी की। इन 250 मरीजों में 117 मरीज ऐसे थे, जो शराब या सिगरेट का सेवन करते थे। 41 मरीज शराब व सिगरेट दोनों का सेवन करते थे। 52 मरीज सिर्फ शराब और 65 मरीज सिर्फ सिगरेट पीते थे। 98 मरीजों को डायबिटीज व 125 को ब्लड प्रेशर की समस्या थी। 72 मरीजों को दोनों समस्या थीं। 

स्टडी में शामिल 30 से 55 वर्ष के ब्रेन अटैक के मरीजों की जीवनशैली और खानपान का ब्यौरा भी एकत्र किया गया। पता चला कि सर्दी दूर करने के लिए ये लोग शराब दोगुना और सिगरेट तीन गुना पीने लगे थे। न्यूरो साइंसेस विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि स्टडी रिपोर्ट में ब्रेन अटैक के चार कारण मुख्य सामने आए हैं। 80 फीसदी मरीजों में ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, शराब और सिगरेट कारण मिला है। 

लोगों को यह भ्रम रहता है कि शराब और सिगरेट पीने से ठंड कम लगती है। इस वजह से उन लोगों ने नार्मल दिनों की अपेक्षा इनकी डोज बढ़ा दी थी। इससे ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर भी गड़बड़ा गया। वहीं, मरीजों ने ब्लड प्रेशर की दवा भी नियमित नहीं लीं। इससे भी ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ा। खून का थक्का बनने से मरीजों को ब्रेन अटैक पड़ गया। 

दवा छोड़ने से बढ़ा बीपी, पड़ा ब्रेन अटैक 

डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि कई मरीज अपने ब्लड प्रेशर की जांच नियमित नहीं कराते हैं, खासकर सर्दी के दिनों में। जब ब्लड प्रेशर बढ़ता तो वह दवा खा लेते हैं और ब्लड प्रेशर समान्य होने पर सेवन करना छोड़ देते हैं। इसकी वजह से उनमे समस्या इस कदर बढ़ जाती है कि ब्रेन अटैक तक की नौबत आ जाती है। इसके अलावा खानपान में कंट्रोल न रखने की वजह से भी ब्लड शुगर का लेवल बढ़ता है। 

जीवनशैली में बदलाव जरूरी

न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष सिंह ने बताया कि 250 मरीजों में से 15 मरीज ऐसे रहे, जिनको दोबारा ब्रेन अटैक पड़ा था। पहली बार अटैक पड़ने पर तत्काल इलाज मिला तो वह सही हो गए थे, लेकिन इसके बाद भी इन मरीजों ने जीवनशैली में सुधार नहीं किया। जिसकी वजह से इनको दोबारा अटैक पड़ा। अस्पताल आने पर इनकी जान तो बच गई लेकिन आधे अंग में कमजोरी आ गई।

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