Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर रखें इन बातों का ध्यान, दूर होंगे सारे दोष

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचारः सूर्य के मकर रेखा से कर्क रेखा की ओर जाना उत्तरायण कहलाता है। शास्त्रानुसार उत्तरायण देवताओं का दिन है। सूर्य के मकर राशि के प्रवेश को मकर संक्रान्ति कहते है। मकर संक्रान्ति प्रातः सूर्योदय के बाद पुन्यकाल में पवित्र स्थानों पर स्नान दान का महत्व होता है। इस पुन्यकाल में स्नान, सूर्य उपासना, जप, अनुष्ठान, दान-दक्षिणा करते है। इस अवसर पर काले तिल, गुड़, खिचड़ी, कम्बल, लकड़ी, वस्त्र आदि का दान का विशेष महत्व है। जब सूर्य देव धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को है।

क्या करें दान

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल बताते है कि चिंताहरण पंचांग अनुसार इस वर्ष सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 55 मिनट पर प्रवेश करेंगे। इस दिन विष्कुम्भ योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है, चन्द्रमा कर्क राशि में रहेंगे। मकर राशि के सूर्य के साथ ही पुण्यकाल में स्नान व दान के बाद चूड़ा-दही व तिल खाना शुभ होगा। पुण्यकाल में स्नान के बाद तिल का होम करने और चूड़ा, तिल, मिठाई, खिचड़ी सामग्री, गर्म कपड़े दान करने व इसे ग्रहण करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। 14 जनवरी को पुण्यकाल सुबह 8:55 से सांयकाल 5:43 तक रहेगा।

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