Prayagraj News :प्रशासनिक अधिकारियों को कोर्ट की अनुमति के बिना किसी कार्यवाही के मूल अभिलेखों में सुधार की अनुमति नहीं

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Published By Vinay Shukla
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प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही एक अस‌िस्टेंट रजिस्ट्रार (द्वितीय अपील) और प्रशासनिक पक्ष पर हाईकोर्ट के एक समीक्षा अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देते हुए कहा कि इस न्यायालय द्वारा केवल अपील के गैर-अनुरक्षणीय होने के बारे में टिप्पणी करने पर कोर्ट की अनुमति के बिना उन्हें कोर्ट की कार्यवाही के मूल अभिलेख में सुधार शामिल करने का कोई अधिकार नहीं था।

कोर्ट ने मामले को उचित कार्यवाही के लिए इस न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 10 फरवरी के लिए सुनिश्चित कर दी। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि संबंधित अधिकारियों ने मामले को लापरवाही से लिया और अपने कार्यों की गंभीरता को समझने में विफल रहे। न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की एकलपीठ ने महेंद्र कुमार जैन एवं 6 अन्य की याचिका पर विचार करते हुए संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा न्यायालय की अनुमति और किसी भी आवेदन के बिना द्वितीय अपील को प्रथम अपील में परिवर्तित करने के कृत्य पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि  अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत स्पष्टीकरण इस न्यायालय की न्यायिक शक्तियों का उल्लंघन करता है, जब न्यायालय द्वारा कार्यवाही को गैर-अनुरक्षणीय माना जाता है, तो न्यायालय के किसी आदेश के बिना, कार्यालय एक कार्यवाही को दूसरे में बदलने के लिए अपने स्वयं के "विवेक" को लागू नहीं कर सकता है।

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