नक्सल मुक्त भारत की ओर

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
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देश में वामपंथी उग्रवाद या नक्सलवाद आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। नक्सलवाद पर एक बड़ा प्रहार करते हुए सोमवार देर रात ओडिशा-छत्तीसगढ़ सीमा पर सीआरपीएफ,  एसओजी ओडिशा और छत्तीसगढ़ पुलिस के संयुक्त अभियान में बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया गया। इनमें एक करोड़ का इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपति भी शामिल है। चलपति नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी का सदस्य था। यह सरकार के नक्सल मुक्त संकल्प की दिशा में एक बड़ा प्रहार है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि देश मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद से मुक्त हो जाएगा। 2004-2014 की तुलना में 2014 से 2024 तक एनडीए शासन में संघर्ष के कारण घटनाओं में 53 प्रतिशत की कमी आई है और सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की जान जाने की संख्या में 70 प्रतिशत की कमी आई है।

गौरतलब है कि नक्सलवाद की शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी नामक एक सुदूर पिछड़े गांव में जमींदारों या सामंतवादियों के खिलाफ हिंसक भूमि विवाद के बाद शुरू हुए आंदोलन के रूप में हुई थी। भारत में नक्सलवाद फैलने की कारणों की बात करें तो नक्सलवाद उन क्षेत्रों में फैला है, जो बुनियादी नागरिक सुविधाओं से वंचित रहे और जहां लोग गरीबी का सामना कर रहे हैं। नक्सलवाद कमजोर शासन और उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण पनपा है। देश में वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव वाले राज्यों में ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के हिस्सों सहित 11 राज्य शामिल हैं। वर्ष 2017 में शुरू किया गया ऑपरेशन समाधान अभियान उग्रवाद का मुकाबला करने और प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण पर केंद्रित है। सरकार ने वामपंथी उग्रवादी समूहों के खिलाफ खुफिया जानकारी आधारित, लक्षित अभियान चलाए। संपार्श्विक क्षति को कम करने और सामुदायिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरती।

आज नक्लवाद मुक्त भारत के लिए सरकार जिन तीन मोर्चों पर काम कर रही है, उनमें आत्मसमर्पण करने वालों का स्वागत, हिंसा का रास्ता न छोड़ने वालों को गिरफ्तार करना और लोगों की जान लेने पर आमादा नक्सलियों को सजा देना। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नक्सल प्रभावित राज्यों की सरकारों ने नक्सलवाद के कारण पिछड़े गांवों और लोगों के कल्याण के लिए चरणबद्ध योजना बनाई है। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए आवास स्वीकृत किए हैं और हर गांव में सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का 100 प्रतिशत सैचुरेशन और उनमें नक्सलवाद के कारण पीड़ित परिवारों को प्राथमिकता देने का काम भी किया जा रहा है। कुल मिलाकर  मोदी सरकार ‘नक्सल मुक्त भारत’ बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है और उम्मीद है कि मार्च 2026 तक देश नक्सल मुक्त होकर रहेगा।