महाकुंभ पहुंचे 129 वर्ष के बाबा शिवानंद, पद्मश्री से हो चुके है सम्मानित...बताई जीवन जीने की खासियत
महाकुंभनगर, अमृत विचार। महाकुंभ नगर बाबाओं का सागर बन चुका है। अब तक यहां ऐसे कई बाबा पहुंच चुके है जो अपने किसी न किसी खास बातों को लेकर सुर्खियों में है। ऐसे ही एक बाबा शिवानंद जी भी महाकुंभ में पहुंचे हैं। जिनकी उम्र 129 वर्ष है। वह पद्मश्री से सम्म्मनित भी किये जा चुके है। वह अपनी 129 वर्ष की उम्र में भी अपनी दिनचर्या को लेकर काफी सजग है।
बाबा शिवानंद से मिलने और उनके फिटनेस को जानने के लोग उनके पास पहुंच रहे है। महाकुंभ 2025 में बाबाओं की बाढ़ सी आ गई है। कोई आईआईटी बाबा, तो कोई कबूतर बाबा, तो कोई चाय और रबड़ी बाले बाबा के नाम से सुर्खियां बटोर रहा है। वहीं इस सभी बाबाओं से अलग एक बाबा शिवानंद भी है, जो अपनी उम्र को लेकर चर्चा में बने हुए है।
बाबा शिवानंद बांग्लादेश के श्रीहट्ट जिले के हरिहरपुर गांव के रहने वाले है। इनका जन्म 8 अगस्त 1886 में हुआ था। बाबा शिवानंद का परिवार भिक्षा के सहारे अनपा जीवन यापन करता था। बाबा के ममता उन्हें कम उम्र में ही नवद्वीप के रहने वाले एक वैष्णव संत स्वामी ओंकारानंद गोस्वामी के हाथों सौंप दिया था। इसके बाद धीरे-धीरे शिवानंद बाबा का मानसिक और आध्यात्मिक विकास ईश्वर की ओर बढ़ने लगा। बाबा काफी दिनों के बाद अपने गुरु के आदेश पर अपने माता-पिता से मिलने भी पहुंचे थे। जहां उनकी बड़ी बहन का स्वर्गवास हो गया है। इस कुछ दिनों बाद उनके माता और पिता का भी निधन हो गया। जिसके बाद वह अपने गुरु के आश्रम वापस आ गए। बाबा शिवानंद की एक शिष्य डॉक्टर शर्मिला ने बाबा के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां बताई। आखिर बताया कि इतनी कम उम्र में बाबा ने कैसे अपने आप को बचाकर रखा है। उन्होंने बताया कि उनकी लंबी उम्र का राज क्या है।
बाबा शिवानंद ने बताया कि आज तमाम लोग अपने खराब जीवन को जी रहे हैं। अपने को लोग नरक में धकेलते जा रहे हैं। नशे के आदि होते जा रहे हैं। देखभाल खानपान रहन-सहन पुरी तरह से बदल चुका है। उन्होंने बताया कि लोगों को अपने जीवन के दिनचर्या में बदलाव करना चाहिए। सुबह जल्दी उठना चाहिए। सुबह उठकर गरम पानी पीने और योगा करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हर छोटी से छोटी बीमारियों में दवा का सेवन नहीं करना चाहिए।
पर्यटक छोटी-छोटी बीमारियों में दवा का सेवन करने के दौरान इंसान की शरीर टूटने लगते है और अंदर से कमजोर होने लगता है। जिससे उसकी जीवन यानी उम्र की क्षमता कम होने लगती है। भूख लगने पर ज्यादा खाने का सेवन नहीं करना चाहिए।
बाबा शिवानंद की दिनचर्या ने बाबा का बड़ी ही सरल है। बाबा शिवानंद भोर में 3 बजे उठ जाते है। मौसम कैसा भी उनकी दिनचर्या में बदलाव नही हो सकता है। नित्यकर्म क्रिया करने के बाद उन्हें योग और फिर पूजा करना होता है। बाबा बहुत ही सात्विक और शाक़ाहारी भोजन करते है। बाबा दूध, फल , मेवे का सेवन नहीं करते है। ठंड के मौसम में भी बाबा कोई गर्म कपड़ा नही पहनते है। वह सूती कपड़े पहनते है।
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