संभल: अमरपति खेड़ा पहुंचे डीएम एसपी ने देखा मिट्टी का घड़ा और इंसानी हड्डियां

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Published By Monis Khan
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संभल, अमृत विचार। डीएम और एसपी ने अल्लीपुर खुर्द के अमरपति खेड़ा पहुंचकर उस स्थान को देखा जहां गुरु अमरा की समाधि बताई गई थी। यहां पर मिट्टी बड़ा घड़ा और इंसानी हड्डियां भी मिलीं, जिन्हें जिला प्रशासन ने सुरक्षित कर लिया है। डीएम और एसपी ने पड़ोस में ही गांव दहेली के जंगल में महर्षि दधिचि के आश्रम को भी देखा। डीएम का कहना रहा कि प्रयास है कि जितनी भी रेवन्यू के मैप में चीजें हैं उन्हें तीर्थाटन के मैप पर लाया जाए।

चंदौसी मार्ग पर स्थित गांव अल्लीपुर खुर्द में पुरातत्व संरक्षित अमरपति खेड़ा में पृथ्वीराज चौहान के समकालीन गुरु अमरा की समाधि बताई जाती है। एएसआई संरक्षित समाधि स्थल वाले अमरपति खेड़ा में सैकड़ों साल पुराने सिक्के और मिट्टी के बर्तन मिले हैं, जिन्हें प्रशासन ने कब्जे में लिया है। शुक्रवार को डीएम डॉ.राजेंद्र पैंसिया, एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई, एसडीएम डॉ.वंदना मिश्रा, ईओ नगर पालिका डॉ.मणिभूषण तिवारी अमरपति खेड़ा पहुंचे। डीएम और एसपी ने गुरु अमरा के समाधि स्थल का जायजा लिया। वहीं पर ग्रामीणों ने एक बड़ा घड़ा भी अधिकारियों को दिखाया। जबकि इंसानी हड्डियां भी दिखीं। डीएम और एसपी ने ग्रामीणों से जानकारी लेते हुए इस संरक्षित क्षेत्र के बारे में विस्तार से पूछा। जिसके बाद डीएम और एसपी ने गांव दहेली के जंगल में स्थित महर्षि दधिचि के आश्रम को भी देखा। जिसके बाद अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए। डीएम ने कहा कि अल्लीपुर बुजुर्ग में अमरपति खेड़ा नामक एक स्थान है, जो एएसआई संरक्षण में 1920 से शामिल रहा है। हमें पता चला कि पिछले करीब 70,75 वर्ष से वह स्थान मिल नहीं रहा था क्योंकि वहां पर गुरु अमरा की समाधि थी, वो पूर्ण रूप से नष्ट हो चुकी थी। दो तीन दिन पहले जब हमारी रेवन्यू की टीम ने इस ओर ध्यान दिया और साथ में एएसआई की टीम भी थी तो यह स्थान मिला है जो एएसआई प्रोटेक्टिव की श्रेणी में आता है। 

वर्तमान में वहां लगभग 2 बीघा के आसपास जमीन है। पड़ोस में सोत नदी बहती है। उससे लगभग 20-25 फिट की ऊंचाई पर है जो यह प्रमाणित भी करता है कि बहुत प्राचीनतम स्थान रहा है। अब हमारे यहां जो एएसआई प्रोटेक्टेड मोनूमेंट हैं वो 8 से बढ़कर 9 हो गए हैं। डीएम ने कहा कि वहां बहुत सारे साधु संत खड़े या पड़े दफनाए जाते थे। जो गुरु अमरा हैं उनके बारे में भी कहा गया था कि इन्होंने खड़े खड़े समाधि ली थी। ऐसा प्रतीत होता है कि सैकड़ों वर्ष पुरानी हड्डियां हैं। अभी उनके बारे में कुछ कह नहीं पाएंगे, वह तो विशेषज्ञ ही बताएंगे। एक व्यक्ति लेकर आये थे उन्होंने कहा कि यह हड्डियां हैं, वो भी हमने अलग से रखवा ली हैं।

चीजों को टूरिज्म के मेप पर लाने का प्रयास
डीएम ने कहा कि कुछ दूरी पर महर्षि दधिचि का आश्रम है जो बहुत प्राचीन बताया जाता है। हम प्रयास कर रहे हैं कि जितने भी हमारे रेवन्यू के मेप के अंदर जो साइप्स हैं जो चीजें हैं वो हमारे टूरिज्म के मेप पर आएं हमारे तीर्थांकर के मेप पर आएं। एक अच्छा स्थान बने पर्यटन का। यहां की अर्थ व्यवस्था का एक मजबूत आधार पर्यटन बने, यही प्रयास है। कुछ लोगों ने बताया कि जब वह खेती कर रहे थे और खोदा गया तो उस समय घड़ा मिला था उसे सुरक्षित स्थान पर रखवा दिया है। कुछ सिक्के भी मिले थे, उनको भी सुरक्षित कर लिया है। भविष्य में हम चाहेंगे कि यहां पर पर्यटन से संबंधित या पुर्नोद्धार के लिए जो कर पाएं वह करेंगे।

संभल में बनेगा म्यूजियम, संरक्षित होंगी चीजें
डीएम डॉ.राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि संभल कस्बे में म्यूजियम बना रहे हैं, छोटा का म्यूजियम बनेगा। चंदौसी में एक म्यूजियम है, उन्होंने बोला है कि यदि सरकार का म्यूजियम बने तो उसे डोनेट करेंगे। अभी तो हम तहसील स्तर का म्यूजियम बना रहे हैं और भविष्य में प्रयास करेंगे कि जो म्यूजियम है उसमें यहां से मिली हुईं चीजें संग्रहित हों और पर्यटकों का भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र बने।

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