प्रयागराज: राजकीय अस्पतालों में नियुक्त डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने के लिए नीति बनाने का निर्देश- HC

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Published By Vishal Singh
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजकीय मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टरों द्वारा मरीजों को निजी नर्सिंग होम में रेफर किए जाने के मामले में 1983 के शासनादेश के प्रवर्तन पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं शिक्षा से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा और राजकीय मेडिकल कॉलेज में नियुक्त डॉक्टरों से 1983 के शासनादेश का अनुपालन कराने का निर्देश दिया।

साथ ही सरकार को पूरे राज्य में जिला मुख्यालयों पर स्थित प्रांतीय चिकित्सा सेवाओं और जिला अस्पतालों में नियुक्त डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता पर विचार करने और इस दिशा में एक सार्थक कदम उठाने का भी आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई आगामी 10 फरवरी को सुनिश्चित की गई है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकलपीठ ने डॉक्टर अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। मालूम हो कि शिकायतकर्ता ने जिला उपभोक्ता फोरम में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज के डॉक्टर, विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर के खिलाफ एक निजी नर्सिंग होम में गलत इलाज दिए जाने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। याची ने हाईकोर्ट में मौजूदा याचिका इस आधार पर दाखिल की कि जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा कोई आदेश पारित किए बिना राज्य उपभोक्ता फोरम मामले पर विचार नहीं कर सकता है।

अतः हाईकोर्ट से इस संबंध में दिशा निर्देश की मांग करते हुए याचिका दाखिल की गई। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था कि राजकीय मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर को एक निजी नर्सिंग होम में चिकित्सा का अभ्यास करने की अनुमति कैसे दी गई।

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