मुरादाबाद : चार साल पूर्व हुआ था पार्क का नाम संत गाडगे रखने का फैसला, पार्षद ने कहा-निगम की कार्रवाई सही, फोटोयुक्त बोर्ड नहीं लगता
मुरादाबाद, अमृत विचार। नवीन नगर के मुख्य पार्क के नाम को लेकर जो विवाद गहराया है उसके नामकरण का फैसला करीब चार वर्ष पूर्व बोर्ड बैठक में हुआ था। इसको लेकर पूर्व पार्षद व धोबी समाज के महानगर अध्यक्ष अजय दिवाकर ने कहा है कि उन्होंने ही पार्क को अवैध कब्जे से मुक्त कराया था। उनका आरोप है कि मौजूदा पार्षद के परिवार ने पार्क के करीब दो सौ वर्ग मीटर क्षेत्र पर कब्जा कर रखा था।
नगर निगम कार्यकारिणी की 24 दिसंबर 2020 की बैठक में पार्षद विनय द्वारा सदन को प्रस्ताव करने पर वार्ड नंबर सात के नवीन नगर क्षेत्र में अमृत योजना द्वारा पार्क का निर्माण किया गया था। यह जानकारी देते हुए अजय दिवाकर ने बताया मौजूदा पार्षद विनय कुमार ने इसका नाम स्वच्छता के जनक संत गाडगे महाराज पर करने का प्रस्ताव किया था। यह प्रस्ताव पृष्ठ 11, एजेंडा तीन के पेज 10 पर दर्ज है। इसकी पुष्टि 25 मार्च 2021 को हुई थी जो पृष्ठ 21 पर दर्ज है। पूर्व पार्षद का आरोप है कि मौजूदा पार्षद के परिवार ने पार्क की तरफ रास्ता खोल रखा था और करीब दो सौ मीटर जगह पर कब्जा भी था। उन्होंने नगर आयुक्त को अवगत कराया था जिसके बाद पार्क से कब्जा हटाकर पार्क की तरफ खोला गया दरवाजा बंद कराया गया था। उन्होंने कहा है कि क्षेत्र में राजनीतिक तौर पर उन्हें दबाव में लेने के लिए उनके खिलाफ साजिश की गई है।
पुराना बोर्ड भी पार्क में रखा मिला
नवीन नगर की पार्षद पंकज शर्मा के प्रतिनिधि ने स्पष्ट किया है कि उनका पार्क के बोर्ड हटाने और लगाने से कोई लेना-देना नहीं है। नगर निगम प्रशासन द्वारा ही यह कार्य कराया गया है। उन्होंने बताया कि नगर निगम ने पहले मुख्य पार्क का बोर्ड ही लगाया था जिसे पूर्व पार्षद अजय दिवाकर ने हटाकर नया बोर्ड लगा दिया गया था। बोर्ड पर फोटो भी लगाए गए थे। उन्होंने बताया कि नगर निगम में फोटोयुक्त बोर्ड लगाने का नियम नहीं है। इसी आधार पर निगम टीम ने बोर्ड को हटाया है। पुराना बोर्ड पार्क में रखा था जिस पर नगर निगम की टीम ने नगरायुक्त का नाम बदलकर लगा दिया है। उन्होंने कहा कि पार्क के पास वाले आवास पर उनका परिवार अब नहीं रहता है। पूर्व पार्षद इस पर राजनीति कर रहे हैं, जबकि इससे उनका कोई लेना देना नहीं है।
सरकारी तंत्र के तेवर से भाजपाई पस्त
सरकारी तंत्र के तेवर से भाजपा नेता भी हैरान हैं। प्रशासन भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने से कतई गुरेज नहीं कर रहा है। इससे पूर्व में भाजपा नेता अजय कट्टा के खिलाफ भी रिपोर्ट दर्ज कराई जा चुकी है। रविवार को भाजपा के पार्षद रहे अजय दिवाकर के खिलाफ सरकारी कार्य में बाधा डालने की रिपोर्ट दर्ज होने से भाजपाइयों में खलबली मची हुई है। सियासी हल्कों में भी भाजपा नेताओं पर रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर खूब चर्चा हो रही है।
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