Order of Allahabad High Court : प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण घट रही शिक्षा गुणवत्ता
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों के अनुपलब्धता से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह पूरे उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक तथ्य है कि छात्र प्रधानाध्यापकों और सहायक अध्यापकों की अनुपलब्धता के कारण परेशान हैं। बड़ी संख्या में स्कूलों में रिक्तियों के कारण राज्य की शिक्षा गुणवत्ता से समझौता हो रहा है और इस समस्या के समाधान में कोई प्रगति भी नहीं दिखाई दे रही है।
राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच कई बैठकों के बावजूद अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और निर्धारित समय-सीमा के भीतर रिक्त पदों पर नियुक्ति न करके विपक्षी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। बांदा स्थित सी/एम कृषि औद्योगिक विद्यालय एएयू और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकलपीठ ने स्कूलों में लगातार रिक्त पदों की बढ़ती संख्या के संदर्भ में संबंधित अधिकारियों की उदासीनता पर चिंता जताते हुए कहा कि जहां तक वर्तमान मामले का प्रश्न है, संस्थान द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद अधिकारियों द्वारा प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक के पदों को भरने के लिए आवश्यक आदेश पारित नहीं किए गए।
मालूम हो कि उक्त स्कूल में एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक, एक क्लर्क और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद जून 2022 से रिक्त है, जिससे व्यथित होकर स्कूल ने हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा महानिदेशक, विद्यालय शिक्षा, उत्तर प्रदेश को स्पष्ट रिपोर्ट या प्रस्ताव के लिए पत्र भेजे जाने के बावजूद आज तक आगे की कार्यवाही नहीं की गई। अंत में कोर्ट ने महानिदेशक को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में हुई देरी के संबंध में 10 दिनों के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले की सुनवाई आगामी 17 फरवरी को सुनिश्चित कर दी गई।
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