संभल : बदला चलन, बुके नहीं अतिथियों को भेंट की जाती हैं पुस्तकें...DM राजेन्द्र पैंसिया ने शुरु की अनूठी पहल
संभल के जिलाधिकारी डाॅ. राजेन्द्र पैंसिया ने शुरु की अनूठी पहल, सरकारी कार्यक्रमों में अतिथियों को महंगे बुके व स्मृति चिह्न देने का चलन किया बंद

एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान प्रदेश सरकार की राज्यमंत्री गुलाब देवी को पुस्तक भेंट करते डीएम राजेंद्र पैंसिया।( फाइल फोटो )
भीष्म सिंह देवल,अमृत विचार। संभल जनपद में अतिथियों के स्वागत का तौर तरीका अब बदल गया है। सरकारी कार्यक्रमों में अतिथियों का स्वागत अब बुके व स्मृति चिन्ह देकर नहीं बल्कि पुस्तक भेंट कर किया जाता है। जिलाधिकारी डाॅ. राजेन्द्र पैंसिया ने पुराने चलन को बदलकर यह नई पहल शुरु की है। अब तक जनपद के सरकारी कार्यक्रमों में अतिथियों को 6632 पुस्तकें भेंट की जा चुकी हैं। जिला मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रमों में पुस्तक भेंट करना शुरु किया गया तो अब ब्लाक स्तर तक यह चलन शुरु हो गया है।
सरकारी और निजी सभी कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि व अन्य मेहमानों का बुके और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत करने के पुराने चलन को 26 जून 2024 को संभल में जिलाधिकारी के रूप में तैनाती के बाद आईएएस राजेंद्र पैंसिया ने बदला तो जिले के सरकारी अधिकारी हैरत में थे कि सरकारी कार्यक्रमों में आने वाले मंत्रियों व अन्य वीआईपी को बुके व स्मृति चिन्ह नहीं देंगे तो कहीं वह बुरा न मान जायें। जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने अतिथियों का स्वागत पुस्तक व पुष्प भेंटकर कराना शुरु किया तो फिर बुके व स्मृति का चलन पूरी तरह बंद कर दिया गया।
जनपद स्तर के कार्यक्रमों में पुस्तक और पुष्प से स्वागत की परंपरा शुरु हुई तो एक कदम और बढ़ाते हुए तहसील स्तर पर आयोजित होने वाले सरकारी कार्यक्रमों में भी अतिथियों को बुके व स्मृति चिन्ह की जगह पुष्प और पुस्तक भेंट करने के निर्देश जारी कर दिये। अब अतिथियों के स्वागत का यह नया चलन ब्लाक स्तर के सरकारी कार्यक्रमों में भी नजर आने लगा है।
इसके साथ ही लोग जिलाधिकारी की इस पहल को सराहते नजर आ रहे हैं। जनपद में विभिन्न विभागों के माध्यम से सरकारी कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथियों को अब तक 6632 पुस्तकें भेंट की जा चुकी हैं। इसके साथ ही जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया जिस भी सरकारी कार्यक्रम या किसी स्कूल में जाते हैं तो वहां उपस्थित बच्चों से क्षेत्र, देश एवं दुनिया से जुड़े प्रश्न पूछते हैं। जो भी बच्चा सही उत्तर देता है उसको जिलाधिकारी पुस्तक उपहार स्वरूप भेंट कर उसका उत्साह बढ़ाते हैं।
पुस्तक है ज्ञान का भंडार,जीवन भर रहती है साथ :राजेंद्र पैंसिया
अतिथियों को पुस्तक भेंट कर उनका स्वागत करने के चलन को लेकर जिलाधिकारी राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि पहले जनपद के कार्यक्रमों में महंगे बुके अतिथियों को भेंट किये जाते थे। बुके एक दो दिन में खराब हो जाते हैं। इनकी खरीद पर पैसे की बर्बादी होती है। जिलाधिकारी ने कहा कि कहा कि अगर हम किसी को पुस्तक देते हैं तो वह जीवन भर उनके साथ रहती है। पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं और पुस्तकों के माध्यम अच्छी जानकारियां हम ग्रहण कर सकते हैं। सरकारी कार्यक्रमों में ही नहीं बल्कि समाज में लोगों को इस चलन को अपनाना चाहिए।
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