बरेली: नगर निगम की नई इमारत में घटिया निर्माण, छज्जा टूटा, प्लास्टर उखड़ा, जांच शुरू

बरेली, अमृत विचार : नगर निगम की ओर से शहर में कराए जा रहे निर्माण कार्यों के बेहद घटिया होने की शिकायतें आम हैं लेकिन नगर निगम परिसर में ही बन रही उसके कार्यालय की इमारत का हाल और भी ज्यादा खराब है। धीरे-धीरे यह इमारत बनती भी जा रही है और जहां-तहां दरकती भी जा रही है। हाल ही में पार्षद कक्ष की फाल्स सीलिंग गिरने के बाद नगर आयुक्त ने कमिश्नर सौम्या अग्रवाल से अनुमति लेकर पांच सदस्यीय जांच समिति गठित की है। माना जा रहा है कि अगर ठीक से जांच हुई तो नई बिल्डिंग के प्लास्टर की तरह कई परतें उधड़ जाएंगी।
नगर निगम कार्यालय की नई बिल्डिंग के निर्माण को सपा के शासन के दौरान मंजूरी मिली थी लेकिन इसका टेंडर 2021 में हो पाया। टेंडर लेने वाली फर्म वीके कंस्ट्रक्शंस को बिल्डिंग का निर्माण 2023 में पूरा करने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन करीब डेढ़ साल का ज्यादा वक्त गुजरने के बावजूद अब तक काम अधूरा पड़ा है।
ऑडिटोरियम अभी बना ही नहीं है, फर्नीचर समेत कई और काम भी पूरे नहीं हुए हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि इस बिल्डिंग को जहां भी देखो, वहां बेहद घटिया निर्माण की गवाही दे रही है। यह हाल तब है, जब पड़ोस में ही पुरानी बिल्डिंग में नगर निगम का पूरा अमला मौजूद रहता है।
दिलचस्प यह है कि नई बिल्डिंग में मेयर और नगर आयुक्त के कार्यालय काफी समय पहले बनाए जा चुके हैं। दोनों अपने कार्यालयों में शिफ्ट भी हो चुके हैं। बिल्डिंग के घटिया निर्माण की शिकायतें शुरुआत से ही होने लगी थीं। यहां तक कि इसमें पीली ईंटों तक का इस्तेमाल तक पकड़ा जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद कोई बहुत कड़ा कदम नहीं उठाया गया।
अब नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य ने अपर नगर आयुक्त सुनील यादव की अगुवाई में पांच सदस्यीय जांच टीम बनाई है जो फरवरी के अंत तक रिपोर्ट देगी। इसमें बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन, अग्निशमन अधिकारी और स्मार्ट सिटी कंपनी के एई को शामिल किया गया है।
घटिया निर्माण की कुछ बानगी
बिल्डिंग के बाहरी दीवारों पर कई जगह दरार पड़ी गई है, एक जगह पर छज्जा भी टूट गया है। पार्षद कक्ष में गिरी फाल्स सीलिंग का काम फिर से किया जा रहा है। बिजली के तमाम बोर्ड इस्तेमाल शुरू होने से पहले ही उखड़ गए हैं। कहीं प्लास्टर उखड़ गया है, कहीं बोर्ड। जिस जगह एसी लगाया गया है, वहां भी टूटफूट दिख रही है।
ऑडिटोरियम काफी धीमी गति से बन रहा है। कहा जा रहा है कि इसमें इस्तेमाल सामग्री की गुणवत्ता काफी निम्नस्तर की है। सागौन और शीशम की जगह साधारण लकड़ी लगाई जा रही है। नगर निगम के दूसरे अफसरों के कार्यालयों का हाल भी अच्छा नहीं है। इनके निर्माण में भी घटिया सामग्री का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने की बात कही जा रही है।
तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध
नगर निगम के नए कार्यालय की इमारत नगर निगम के ही निर्माण विभाग के इंजीनियरों की देखरेख में बन रही है। जांच शुरू होने के बाद अब कुछ इंजीनियरों ने ही अधिकारियों को निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होने का फीडबैक दिया है। उनका कहना है कि पूर्व अधिकारियों और इंजीनियरों की भूमिका इसमें ठीक नहीं रही है लेकिन अगर जांच में देरी हुई तो उन पर भी कार्रवाई हो सकती है। बताया जा रहा है कि इसी कारण निर्माणाधीन इमारत की जांच कराने का निर्णय लिया गया है।
नौ करोड़ से बढ़कर 19 करोड़ हुआ बजट
नगर निगम की बिल्डिंग का शुरुआती बजट नौ करोड़ था। इसका निर्माण करने वाली फर्म ने बेहद धीमी गति से काम किया और इसका भरपूर फायदा भी उसे मिला। निर्माण का एस्टीमेट बार-बार रिवाइज होकर 19 करोड़ पहुंच गया। अब भी स्थिति यह है कि बिल्डिंग का निर्माण कार्य 90 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ है, जबकि 2023 में ही इसे पूरा हो जाना चाहिए था।
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